नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो ) ने देश में विकसित निम्न लागत वाला नवीनतम स्टार सेंसर लांच किया है। भारतीय खगोल वैज्ञानिकों ने इसका डिजाइन यह गणना करने के लिए किया है ताकि अति शीघ्र उपग्रहों की स्थिति और उनके ठिकानों का पता लगाया जा सके। देश में इसका पहली बार अंतरिक्ष में परीक्षण किया गया है। भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) के खगोलविदों ने घोषणा की है कि स्टार सेंसर ने न केवल अंतरिक्ष में कठिन स्थितियों को सहन किया है बल्कि अपेक्षा के अनुरूप कार्य भी कर रहा है। किसी अंतरिक्ष मिशन के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि किसी भी समय उपग्रह को कहां इंगित किया जा रहा है। जहां ऐसा करने के कई तरीके हैं, वहां एक स्टार सेंसर किसी अंतरिक्ष यान की दिशा और ठिकाने के बारे में सबसे सटीक जानकारी प्रदान करता है। इतना ही नहीं, सेंसर अंतरिक्ष में सितारों की पहचान करके उसी दिशा में बढ़ने में सक्षम होंगे।
स्टार सेंसर परियोजना के तकनीकी प्रमुख भरत चंद्र के अनुसार इसका सॉफ्टवेयर इन-हाउस डिजाइन किया गया है और यह किफायती, निर्माण में सरल और विभिन्न प्रकार के उपग्रहों पर इसे तैनात किया जा सकता है। आईआईए के पूर्व विजिटिंग वैज्ञानिक बिनुकुमार ने कहा, उड़ान योग्यता परीक्षण अंतरिक्ष विज्ञान एमजीके मेनन प्रयोगशाला में किया गया था, जो होसकोटे में भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के क्रेस्ट परिसर में स्थित है। हमारी वेणु बापू वेधशाला में स्काई इमेजिंग परीक्षण किए गए। स्टार सेंसर का मुख्य कार्य देखने के क्षेत्र की छवि बनाना, इसके द्वारा देखे जाने वाले सितारों की सही पहचान करना और इंगित दिशा की गणना करना है। प्रारंभिक डेटा के विश्लेषण ने पुष्टि की है कि इमेजिंग उपकरण अपेक्षित रूप से काम करता है और ऑनबोर्ड सॉफ्टवेयर पॉइंटिंग दिशा की गणना करने में सक्षम है।