ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। पश्चिम रेलवे ने बॉम्बे हाई कोर्ट को सूचित किया है कि रेलवे ब्रिज का एक्सटर्नल ऑडिट अब 5 साल की बजाय 3 साल में कराया जाएगा। जून 2024 तक इस संबंध में टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी। हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई में वैतरणा क्रीक और सफाले ब्रिज के आसपास हो रहे अवैध रेत खनन के चलते ब्रिज की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि ब्रिज से रोजाना 20 लाख रेलवे यात्री गुजरते हैं। इसलिए रेलवे 5 साल के बजाय बार-बार ब्रिज का एक्सटर्नल ऑडिट कराने पर विचार करे।
इंस्पेक्शन रिपोर्ट में ब्रिज सुरक्षित
रेलवे के वकील ने कहा कि रेलवे हर साल ब्रिज का इंटरनल ऑडिट करती है। हालांकि अब हर 3 साल में एक्सटर्नल ऑडिट की जाएगी। फिलहाल इंस्पेक्शन रिपोर्ट में ब्रिज क्रमांक 88, 90, 91 और 93 पूरी तरह से सुरक्षित हैं। रेत खनन पर रोक लगाने के लिए ब्रिज क्रमांक 92 के पास बैरिकेटिंग की गई थी। हालांकि उसे कलेक्टर के आदेश के बाद हटा दिया गया। 20 फ्लड लाइट और सोलर पैनल भी इंस्टाल किए गए हैं। विडियो कॉन्फ्रेंस में मौजूद एडिशनल कलेक्टर ने कहा कि अस्थायी तौर पर बैरिकेट हटाए गए हैं, जिसे बाद में लगा दिया जाएगा।
‘जूली द्वीप के पास रेत खनन पर लगे रोक’
जूली खारभूमि लाभार्थी सहकारी संस्था और आवाज फाउंडेशन की ओर से दायर जनहित याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है, जिसमें दावा किया गया है अवैध रेत खनन से द्वीप के अस्तित्व पर संकट पैदा हो गया है। इसलिए रेत खनन पर रोक लगाने का निर्देश दिया जाए। इससे रेलवे ब्रिज पर भी विपरीत असर हो सकता है।
– वैतरणा क्रीक ठाणे और सफाले ब्रिज पर अवैध खनन पर जताई चिंता
‘ट्रेटा पॉड की उपयोगिता पर मंगाई रिपोर्ट’
इससे पहले, हाई कोर्ट ने राजस्व विभाग के प्रधान सचिव को संबंधित कर्मचारियों को तीन माह में बोट और जरूरी उपकरण उपलब्ध कराने और संवेदनशील इलाकों में ट्रेटा पॉड के इस्तेमाल को लेकर वैज्ञानिक अध्ययन करने को कहा। रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट करने को कहा गया है कि कैसे ट्रेटा पॉड रेत खनन को रोकने के लिए व्यावहारिक तौर पर समाधान कारक नहीं हो सकते। सरकार ट्रेटा पॉड के उपयोग से संबंधित रिपोर्ट नहीं देगी, तो उक्त पॉड का प्रायोगिक तौर पर इस्तेमाल करने का निर्देश देने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। याचिका पर 28 जून को सुनवाई होगी।
‘इकोलॉजी व पर्यावरण के लिए हानिकारक’
जस्टिस नितिन जामदार व जस्टिस एमएम साठे की बेंच ने कहा कि एक दशक से अधिक समय से यह मामला चल रहा है। अवैध रेत खनन के चलते द्वीप के किनारों में कटाव की स्थिति दिख रही है। ऐसा खनन इकोलॉजी और पर्यावरण के लिए खतरनाक है, इसके बावजूद रेत खनन को रोकने के पर्याप्त और सार्थक कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। रेत खनन को रोकने के लिए द्वीप व क्रीक के आसपास ट्रेटा पॉड नहीं लगाए जा रहे क्योंकि सरकार इसे खर्चीला मानती है।