ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना चुनाव आयोग को गोदाम बनाने के लिए ओपन स्पेस उपलब्ध कराने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। यह गोदाम ईवीएम मशीन और वीवीपैट रखने के लिए बनाए जाने हैं।
पुणे कलेक्टर ने दो भूखंड आयोग को सौंपे हैं जिसके खिलाफ कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और आरिफ डॉक्टर की बेंच ने कहा कि गोदाम बनाने के लिए दिया गया भूखंड प्रथम दृष्टया पूरी तरह से अवैध है, क्योंकि ज़मीन के अधिग्रहण को लेकर कोई आग्रह नहीं किया गया।
आयोग को दिए गए भूखंड का क्षेत्रफल 1.69 हेक्टेयर है। एक भूखंड में मेट्रो प्रॉजेक्ट के चलते काटे गए पेड़ों के एवज में 600 पौधे रोपे गए हैं। यह भूखंड ओपन स्पेस और सरकारी उद्देश्य के लिए आरक्षित है।
अगली सुनवाई तक हाई कोर्ट की रोक
याचिका में दावा किया गया है कि गोदाम के निर्माण से वहां पर रोपे गए पौधे प्रभावित होंगे। यदि एक भूखंड पर निर्माण कार्य शुरू हुआ, तो वह दूसरे भूखंड तक फैल सकता है। इससे पहले भारत निर्वाचन चुनाव आयोग का पक्ष रख रहे सीनियर एडवोकेट आशुतोष कुंभकोणी और अक्षय शिंदे ने कहा कि अगली सुनवाई तक ओपन स्पेस के लिए आरक्षित भूखंड का इस्तेमाल निर्माण कार्य लिए नहीं किया जाएगा।
‘यह अराजकता है’
बेंच ने कहा कि पुणे महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के इस भूखंड को कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बगैर कैसे चुनाव आयोग को सौंपा जा सकता है। क्या ऐसा कोई कानून है, जो बिना किसी मुआवजे के ज़मीन अधिग्रहण की अनुमति देता है?
चुनाव लोकतंत्र की सबसे महत्वपूर्ण खूबी
चुनाव आयोजित करना सार्वजनिक कार्य है। केवल इसलिए क्या जमीन का आरक्षण बदले बगैर इसे चुनाव आयोग के नाम किया जा सकता है? यह पूरी तरह से अराजकता और अव्यवस्था को व्यक्त करता है। बेंच ने सवाल किया कि क्या अधिकारियों ने जनता के लिए खुली जगह छोड़ने के लिए कोई योजना बनाई है या वे सिर्फ कन्क्रीट के जंगल बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं।
बेंच ने इस मामले में पीएमआरडीए, पिंपरी चिंचवाड महानगरपालिका और चुनाव आयोग को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 18 जून को रखी गई है।