ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पेपर लीक और गड़बड़ी के आधार पर नीट-यूजी 2024 परीक्षा रद करने से इनकार कर दिया है। प्रधान न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि यह दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि परीक्षा की पवित्रता का उल्लंघन किया गया था।
पीठ ने कहा कि दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देने से 23 लाख से ज्यादा परीक्षार्थियों पर गंभीर असर पड़ेगा और शैक्षणिक कार्यक्रम में व्यवधान आएगा। पीठ ने सुनवाई पूरी कर पहले अपना फैसला यह कहते हुए सुरक्षित रखा था कि फैसला आज ही सुनाया जाएगा क्योंकि छात्रों को किसी भी हाल में लटकाकर नहीं रख सकते। पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि 1,08,000 सीटों के लिए 24 लाख छात्रों में प्रतिस्पर्धा थी।
अदालत को अवगत कराया गया
अदालत को इस तथ्य से अवगत कराया गया कि परीक्षा का कट आफ 50 फीसद है। परीक्षा में 180 प्रश्न होते हैं। जिनके कुल अंक 720 होते हैं और गलत उत्तर के लिए एक नकारात्मक अंक होता है। यह प्रस्तुत किया गया कि पेपर लीक प्रकृति में प्रणालीगत था और संरचनात्मक कमियों के साथ मिलकर कार्रवाई का एकमात्र स्वीकार्य तरीका री- टेस्ट करना होगा लेकिन परीक्षा की पवित्रता भंग होने के पर्याप्त सबूत नहीं हैं।
क्या है मुख्य मुद्दा
इन मामलों में इस न्यायालय के समक्ष उठाया जा रहा मुख्य मुद्दा यह है कि इस आधार पर पुनः परीक्षण आयोजित करने का निर्देश जारी किया जाए कि प्रश्नपत्र लीक हुआ था और परीक्षा के संचालन में प्रणालीगत खामियां थी। नीट यूजी परीक्षा 571 शहरों के 4750 केंद्रों के अलावा 14 विदेशी शहरों में आयोजित की गई थी।
हजारीबाग (झारखंड) और पटना (बिहार) के केंद्रों में पेपर लीक होने की बात स्वीकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि रिकार्ड में पर्याप्त सबूत नहीं हैं, जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि परीक्षा के नतीजे पूरी तरह से खराब हैं या परीक्षा की पवित्रता में सिस्टम में गड़बड़ी हुई है।
प्रस्तुत डेटा प्रश्नपत्र के व्यवस्थित लीक होने का संकेत नहीं देता
न्यायालय ने कहा कि रिकार्ड में प्रस्तुत डेटा प्रश्नपत्र के व्यवस्थित लीक होने का संकेत नहीं देता है जिससे परीक्षा की पवित्रता नष्ट हो जाएगी। पीठ ने पांच मई को मेडिकल प्रवेश के लिए आयोजित राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) को पेपर लीक और कदाचार के लिए रद करने की मांग करने वाली याचिकाओं के समूह में यह आदेश पारित किया। परीक्षा का परिणाम चार जून को घोषित किया गया था। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि लीक की प्रकृति प्रणालीगत थी और परीक्षा के तौर तरीकों में संरचनात्मक कमियों के साथ तन्वी सरवाल बनाम सीबीएसई (2015) में न्यायालय द्वारा निर्धारित मिसालों के मद्देनजर, कार्रवाई का एकमात्र तरीका पुनः परीक्षा का निर्देश देना है।
लीक की प्रकृति स्थानीय थी
केंद्र सरकार और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) का कहना था कि लीक की प्रकृति स्थानीय थी और लाभार्थियों की पहचान की जा सकती है। केंद्र सरकार ने आईआईटी मद्रास द्वारा तैयार की गई डेटा एनालिटिक्स रिपोर्ट का भी हवाला दिया। जिसमें परिणामों में कोई असामान्यता या किसी बड़े पैमाने पर कदाचार का संकेत नहीं दिखाया गया।
– दोबारा परीक्षा के आदेश से 23 लाख परीक्षार्थियों पर गंभीर असर पड़ेगा
न्यायालय ने लगभग चार दिनों तक मामले की सुनवाई के बाद मंगलवार शाम को फैसला सुनाया। पीठ के मुताबिक यह तथ्य कि नीट यूजी 2024 का पेपर हजारीबाग और पटना में लीक हुआ, विवाद का विषय नहीं है। जांच के हस्तांतरण के बाद सीबीआई ने अपनी स्थिति रिपोर्ट दाखिल की। सीबीआई द्वारा किए गए खुलासे से पता चलता है कि जांच जारी है।
155 परीक्षार्थी घोटाले के लाभार्थी
हालांकि, इसने संकेत दिया कि मौजूदा सामग्री से पता चलता है कि हजारीबाग और पटना के परीक्षा केंद्रों से चुने गए लगभग 155 परीक्षार्थी घोटाले के लाभार्थी प्रतीत होते हैं। चूंकि सीबीआई द्वारा की गई जांच अंतिम रूप नहीं ले पाई है, इसलिए न्यायालय ने केंद्र सरकार से यह संकेत देने को कहा कि क्या 571 शहरों में परिणामों से किसी भी तरह की असामान्यता का अनुमान लगाया जा सकता है।
न्यायालय ने कहा कि रिकार्ड में प्रस्तुत डेटा प्रश्नपत्र के व्यवस्थित लीक होने का संकेत नहीं देता है जिससे परीक्षा की पवित्रता नष्ट हो जाएगी। पीठ ने पांच मई को मेडिकल प्रवेश के लिए आयोजित राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) को पेपर लीक और कदाचार के लिए रद करने की मांग करने वाली याचिकाओं के समूह के जवाब में यह आदेश पारित किया। परीक्षा का परिणाम चार जून को घोषित किया गया था। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि लीक की प्रकृति प्रणालीगत थी और परीक्षा के तौर तरीकों में संरचनात्मक कमियों के साथ तन्वी सरवाल बनाम सीबीएसई (2015) में न्यायालय द्वारा निर्धारित मिसालों के मद्देनजर, कार्रवाई का एकमात्र तरीका पुनः परीक्षा का निर्देश देना है।
लीक की प्रकृति स्थानीय थी
केंद्र सरकार और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) का कहना था कि लीक की प्रकृति स्थानीय थी और लाभार्थियों की पहचान की जा सकती है। केंद्र सरकार ने आईआईटी मद्रास द्वारा तैयार की गई डेटा एनालिटिक्स रिपोर्ट का भी हवाला दिया। जिसमें परिणामों में कोई असामान्यता या किसी बड़े पैमाने पर कदाचार का संकेत नहीं दिखाया गया। न्यायालय ने लगभग चार दिनों तक मामले की सुनवाई के बाद मंगलवार शाम को फैसला सुनाया। नीट यूजी 2024 का पेपर हजारीबाग और पटना में लीक हुआ, विवाद का विषय नहीं है। जांच के हस्तांतरण के बाद सीबीआई ने अपनी स्थिति रिपोर्ट दाखिल की। सीबीआई द्वारा किए गए खुलासे से पता चलता है कि जांच जारी है।
155 परीक्षार्थी घोटाले के लाभार्थी
हालांकि, इसने संकेत दिया कि मौजूदा सामग्री से पता चलता है कि हजारीबाग और पटना के परीक्षा केंद्रों से चुने गए लगभग 155 परीक्षार्थी घोटाले के लाभार्थी प्रतीत होते हैं। चूंकि सीबीआई द्वारा की गई जांच अंतिम रूप नहीं ले पाई है, इसलिए न्यायालय ने केंद्र सरकार से यह संकेत देने को कहा कि क्या 571 शहरों में परिणामों से किसी भी तरह की असामान्यता का अनुमान लगाया जा सकता है।