ब्लिट्ज ब्यूरो
कैलिफोर्निया। पूरी दुनिया में पानी के लिए लोग एक-दूसरे का खून बहा रहे हैं। 2023 में पानी के लिए दुनिया में हिंसा के मामले बहुत तेजी से बढ़े हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है। यह दावा कैलिफोर्निया स्थित थिंकटैंक पैसिफिक इंस्टीट्यूट की वार्षिक रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, 2022 की तुलना में 2023 में दुनियाभर में जल संघर्ष में 50 प्रतिशत वृद्धि हुई है। 2022 में 231 मामले आए थे। पानी से संबंधित में हिंसा में बांधों, पाइपलाइनों, कुओं, उपचार संयंत्रों और श्रमिकों पर हमले शामिल हैं।
बड़े पैमाने पर अशांति और पानी के लिए युद्ध जैसी स्थिति भी शामिल है। कई लोगों की मौतें भी इसमें हुई हैं।
आपदाओं से बढ़ी मुसीबतः
भारत में सिंचाई के पानी के लिए संघर्ष के मामले सबसे ज्यादा चर्चा में रहे। भीषण सूखे और आपसी विवादों ने जल संघर्ष को और हवा दी। कावेरी नदी को लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक के लोगों के बीच झड़प हुई। पिछले साल 30 नवंबर को आंध्र प्रदेश के सैकड़ों पुलिसकर्मी कृष्णा नदी पर नागार्जुनसागर बांध की सुरक्षा कर रहे तेलंगाना राज्य पुलिस बलों के साथ भिड़ गए। पानी के बंटवारे और सिंचाई के पानी को छोड़ने के लिए दोनों राज्यों के बीच लंबे समय से विवाद चला आ रहा है
2.2 अरब लोग प्यासे
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में 2.2 अरब लोगों के पास सुरक्षित पेयजल उपलब्ध नहीं है। 3.5 अरब लोग स्वच्छ जल से महरूम हैं। ऐसे में देशों के बीच संघर्ष और बढ़ने की संभावना है।
मध्य पूर्व में अधिक हमले
दुनियाभर में 2023 में मध्यपूर्व में पानी को लेकर हिंसा में भारी वृद्धि हुई है। कुल संघर्ष का 38 फीसदी इसी इलाके में हुआ है। इसकी वजह मुख्य रूप से कब्जे वाले पश्चिमी तट और गाजा पट्टी में फलस्तीनी जल आपूर्ति पर इजरायली हमले शामिल हैं।
पानी के लिए दुनिया में हिंसा के बढ़ते मामले
2023 347
2022 231
2021 129
2020 78
2019 128
2018 137
2017 87
क्षेत्रवार संघर्ष
क्षेत्र 2022- 2023
लैटिन अमेरिका 48 -13
मध्य पूर्व 75- 131
सब सहारा अफ्रीका 44- 56
दक्षिण एशिया 28 -49