नई दिल्ली। विभिन्न प्रजातियों में उभरती नई जूनोटिक बीमारियां वर्ष 2030 तक एक और महामारी को जन्म दे सकती हैं। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा है कि जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण में लगातार हो रहे बदलावों ने प्रजातियों के आवास क्षेत्रों को प्रभावित किया है।
इस कारण प्रजातियों के बीच नए संपर्क पैदा हो रहे हैं, जिससे जानवरों से इन्सानों में बीमारियों के फैलने यानी जूनोटिक स्पिलओवर का खतरा बढ़ गया है। जानवरों, पक्षियों और दूसरे जीवों से इंसानों में फैलने वाली संक्रामक बीमारियों को वैज्ञानिक रूप से जूनोसिस या फिर ‘जूनोटिक डिजीज’ कहते हैं। इनका प्रसार बहुत तेज गति से होता है। इनके जरिये फैलने वाले संक्रमण वायरस, बैक्टीरिया, परजीवी और कवक जैसे कीटाणुओं के कारण होते हैं। दुनिया में अभी 17 लाख अज्ञात वायरस हैं जो गंभीर चिंता का विषय हैं।
12 गुना अधिक जानें ले सकती हैं कुछ जूनोटिक बीमारियां
भूमि उपयोग में आ रहे बदलावों, वन विनाश, आवास क्षेत्रों को हो रहे नुकसान, बढ़ते शहरीकरण, वन्यजीवों की तस्करी और असंतुलित कृषि जैसी गतिविधियों से नई जूनोटिक बीमारियों के उभरने और फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि नई कुछ जूनोटिक बीमारियां अगले तीन दशकों में 12 गुना अधिक जानें ले सकती हैं। वैश्विक स्तर पर करीब 60 प्रतिशत उभरती संक्रामक बीमारियां जूनोटिक हैं।
– 2020 की तुलना में 2050 तक सबसे आम रोगजनकों के कारण मनुष्यों में दस गुना अधिक मौतें होंगी
जानवरों से इन्सानों में फैल रही बीमारियां आठ फीसदी तक बढ़ीं
रिपोर्ट के अनुसार जूनोटिक स्पिलओवर की घटनाएं सालाना पांच से आठ फीसदी बढ़ रही हैं। अनुमान है कि 2020 की तुलना में 2050 तक सबसे आम रोगजनकों के कारण मनुष्यों में दस गुना अधिक मौतें होंगी। उभरते जूनोसिस डब्ल्यूएचओ के पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में एक बढ़ता हुआ सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा है। पिछले दो दशकों के दौरान इस क्षेत्र के 22 में से 18 देशों में उभरती हुई जूनोटिक बीमारियां सामने आई हैं।
24 देशों में एवियन इन्फ्लुएंजा के 891 मामले सामने आए। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 24 देशों में इन्सानों में फैले एवियन इन्फ्लुएंजा (एच 5एन1) के 891 मामलों की जानकारी दी है। इन मामलों में लोग उन जीवित और मृत पक्षियों के संपर्क में आने से बीमार हुए जो इस वायरस से संक्रमित थे। रिपोर्ट में इस बात की भी आशंका जताई गई है कि अज्ञात या नजरअंदाज कर दिए गए रोगाणुओं के चलते महामारी फैल सकती है। दुनिया में अभी 17 लाख अज्ञात वायरस हैं जो गंभीर चिंता का विषय हैं।