राकेश शर्मा
जीहां, मैं भारत में चल रहे चुनाव में (अ) ज्ञात शत्रु की ही बात कर रहा हूं, बहुत सोच समझकर कर रहा हूं। राष्ट्र प्रेमी जनता को सब दिख रहा है, समझ में आ रहा है, नहीं समझ आ रहा है या न समझने की नौटंकी कर रहे हैं तो सिर्फ वे (अ) ज्ञानी नेता हैं जो भोली भाली जनता की आंखों में विदेशी शक्तियों की मदद से किसी भी उचित-अनुचित मार्ग को अपनाकर सत्ता के सिंहासन पर येन-केन प्रकारेण पहुंचना चाहते हैं।
यह भारत का चुनाव है, भारतीय लोकतंत्र का चुनाव है, भारत के लोगों के भविष्य का चुनाव है, हमें अपना नेतृत्व चुनने का पूरा हक है। इस चुनावी सरगर्मी की दोपहर में विदेशों से आ रहे वक्तव्यों, छप रहे लेखों के द्वारा इस चुनाव को प्रभावित करने का क्या कारण हो सकता है?
कौन इससे इन्कार कर सकता है कि भारत ने पिछले दस वर्ष में हर मापदंड से उन्नति, प्रगति की है, विकास किया है और देश तीव्र गति से आगे बढ़ा है।
मोदी काल खंड में हम दुनिया में ग्यारहवें स्थान से पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ऐसे ही नहीं बन गये, अगले तीन साल में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के ठोस आधार हैं और लक्षण भी हैं। यह सब भारत में एक कुशल, सुदृढ़ एवं सशक्त नेतृत्व के कारण ही हो रहा है जिसने आजादी के अमृत काल खंड के समापन से पूर्व विश्व के सर्वाधिक विकसित देशों की अग्रिम पंक्ति में देश को खड़ा करने का संकल्प लिया है। यही उन देशी विदेशी शक्तियों, जो भारत को विकसित राष्ट्र बनते देखना नहीं चाहते, के पेट दर्द का असली कारण है और इसमें कुछ भारतीय राजनैतिक पार्टियां पूर्ण सहयोग कर रही हैं।
वरना सोचिए पाकिस्तान के पूर्व मंत्री फवाद चौधरी को क्या जरूरत थी यह कहने की कि इस चुनाव में मोदी को हारना चाहिए, राहुल को जीतना चाहिए, पाकिस्तान में ही जगह-जगह मोदी को हराने की दुआएं क्यों हो रही हैं, पश्चिम के नेताओं और मीडिया के द्वारा भारत में मानव अधिकारों के लेख क्यूं लिखे जा रहे हैं, भारत के सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक स्थानों के पुनरुत्थान को हिंदुत्व जागरण की संज्ञा क्यूं दी जा रही है, संवैधानिक संस्थाओं के पतन की बात क्यूं की जा रही है, लोकतंत्र की हत्या होने की बात क्यूं की जा रही है। दुर्भाग्य यह है कि जो तूती विदेशों में बज रही है, उसकी गूंज हमारे कुछ तथाकथित ‘बिके हुए नेता’ भारत में गुंजायमान करने का असफल प्रयास करते दिख रहे हैं।
देशप्रेमी जनता को इस सब पर विश्वास नहीं है। वह (अ) ज्ञात शत्रु को पहचान चुकी है क्योकि ‘प्रत्यक्षम् किम् प्रमाणम्’ को चरितार्थ होते हुए अपनी आंखों से स्वयं देख रही है, बदलते भारत को सभी देख रहे हैं, विकसित भारत के प्रत्यक्षदर्शी हैं, सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास सबके सामने है, गरीबों के कल्याण के काम सबके सामने हैं, सुरक्षित देश कैसे बनता है, सबके सामने है, तेजी से आर्थिक प्रगति कैसे होती है, सबके सामने है।
चांद सूरज पर कैसे पहुंचा जाता है, सबके सामने है, दुश्मन को कैसे निपटाया जाता है, सबके सामने है, आत्मनिर्भर कैसे बना जाता है, सबके सामने है, विश्व गुरु कैसे बनते हैं और विश्व से यह कैसे मनवाया जाता है, सबके सामने है, अपनी संस्कृति, अपनी पहचान अपने मूल्यों को कैसे जिया जाता है, सबके सामने है। कितना भी लिखूं, उतना कम है। इतना ही कहूंगा, वर्तमान मोदी काल खंड में भारत का मान सम्मान बढ़ा है और इसमें राष्ट्रीय संत कर्मयोगी मोदी का बहुत योगदान है। उनके लिए राष्ट्र ही सब कुछ है।
(अ) ज्ञात शत्रु से, जो सभी को ज्ञात है, सतर्क रहना है वरना सोचिए संसद के पिछले पांच-छह सत्र विपक्ष ने विदेशी समाचार पत्रों में उठाये गये मुद्दों पर ही बाधित किए थे जिससे इनकी आपस में गहरी सांठगांठ ही प्रदर्शित हुई, वरना सारे मुद्दे संसद प्रारंभ होने से दो-तीन दिन पहले ही क्यूं उजागर होते थे। जैसे कि पैगासिस, हिंडनबर्ग, बीबीसी डाक्यूमेंट्री, जॉर्ज सोरोस आदि।
भारत एक स्वायत्त राष्ट्र है, हमें अपना देश, विदेशी एजेंडे पर नहीं चलाना है और जो आयातित एजेंडे पर देश की तरक्की में व्यवधान डालना चाहते हैं, उन्हें करारा सबक सिखाना है।
इन विदेशी आयातित मुद्दों की एक झलक तो देखिए, यूएस, जर्मनी और यूनाइटेड नेशन के केजरीवाल की गिरफ्तारी और भारत में स्वतंत्र चुनावों की टिप्पणियां तो देखिए, भारत में चल रहे चुनावों के मध्य मानवाधिकारों के उल्लंघन और समाज को बांटने का उल्लेख करने की क्या आवश्यकता थी, अमेरिकी विदेश मंत्रालय के सेक्रेटरी एंटनी ब्लिंकेन लिंचिंग और मानवाधिकार उल्लंघन की बात चुनाव के मध्य क्यों कर रहे हैं। हालांकि इन सभी आरोपों का हमारे सक्षम विदेश विभाग ने सटीक जवाब दिया है लेकिन विचारणीय मुद्दा यह है कि चीन, अमेरिका, यूरोप के कुछ देशों, कनाडा, पाकिस्तान के पेट में भारत को उन्नति के पथ पर चढ़ते देख दर्द क्यूं हो रहा है। विश्वास रखिए इस सबके बाद भी भारत तरक्की करेगा, विकसित राष्ट्र बनेगा, विश्व गुरु बनेगा क्योंकि हर राष्ट्रभक्त भारतीय यही चाहता है।