ब्लिट्ज ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के नोएडा में सेक्टर-36 साइबर क्राइम थाने में साइबर फरेंसिक लैब बनेगी। इसकी तैयारी कमिश्नरेट पुलिस ने शुरू कर दी है। लैब बन जाने से नोएडा में साइबर स्टॉकिंग, बुलिंग, फ्रॉड की घटनाओं की जांच तेजी से होगी। गलत मंशा के साथ किसी महिला का विडियो वायरल करने से भी पुलिस रोक सकेगी। डीप फेक पुलिस के लिए जो नई चुनौती बन रहा है, उसके केस की जांच के लिए भी पुलिस तैयार हो जाएगी। तेजी से बढ़ रहे साइबर क्राइम के घटनाओं के बीच नोएडा पुलिस के पास अभी तक जांच के संसाधन पर्याप्त नहीं थे। लैब के लिए निर्भरता दिल्ली व लखनऊ पर ही थी।
संचालन पिछले दिनों ही मिला
साइबर क्राइम थाने का संचालन पिछले दिनों ही कमिश्नरेट को मिला है। पहले इसका संचालन सीधे लखनऊ से हो रहा था। इसके साथ ही यहां पर गौतमबुद्ध नगर, हापुड़, गाजियाबाद, बुलंदशहर की बड़ी साइबर क्राइम की घटनाओं की जांच हो रही थी। थाने में तैनात इंचार्ज समेत 14 पुलिसकर्मियों का अलग-अलग जगह पर ट्रांसफर हो चुका है।
संचालन की रूपरेखा नए सिरे से
कमिश्नरेट ने थाने के संचालन की रूपरेखा नए सिरे से तैयार की है। इसमें साइबर फरेंसिक लैब बनाने व सेंट्रलाइज्ड डेस्क पूरे जिले के लिए बनाया जाना है। यहां पर तैनाती ट्रेंड पुलिस स्टॉफ को दी जाएगी। साइबर क्राइम थाने के संचालन को प्रभारी एडिशनल सीपी मुख्यालय बबलू कुमार को बनाया गया है।
सबूत जुटाने में होगी आसानी
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि साइबर क्राइम और फ्रॉड के केस में चार्जशीट तैयार करते वक्त लैब बन जाने से तकनीकी सबूत भी जुटाए जाएंगे। साइबर अपराधी फ्रॉड करने के बाद चैट व लिंक तेजी से डिलीट करते हैं।
मिलेगा अपराधियों का डाटा आसानी से
यही नहीं, ग्रुप में जोड़कर जो फ्रॉड होते हैं उसमें एक पीड़ित को ग्रुप से बाहर निकाल कर बाकियों को फिर उसी ग्रुप से ठगा जाता है। ऐसे मामलों में पीड़ित के मोबाइल से पुलिस साइबर फारेंसिक लैब के जरिए बहुत सा डेटा इन अपराधियों का आसानी से हासिल कर पाएगी।
सेंट्रलाइज्ड डेस्क से मिलेगी रफ्तार
साइबर क्राइम थाने में सेंट्रलाइज्ड डेस्क भी बनेगा। यह सभी थानों की साइबर हेल्प डेस्क से जुड़ेगा। किसी थाने में शिकायत पर तकनीकी जांच या सबूत जुटाने की जरूरत पड़ने पर यह डेस्क तेजी से फॉरेंसिक लैब से काम करवाएगी। ठगी की रकम को फ्रीज करवाने का काम भी यहीं से डेडिकेटेड सेल बनवाकर करने की तैयारी है।