राकेश शर्मा लेखक एवं विचारक
मैं कोई चुनावी सर्वेक्षण कंपनी नहीं चलाता और न ही इसका कोई अनुभव है लेकिन जनता का मूड और भाव पढ़ने का बहुत लंबा अनुभव है और अधिकतर सही ही निकलता है। 2019 के चुनावी नतीजे आने से पूर्व समाचार पत्रों या टीवी चैनलों पर चर्चाओं का यदि एक बार अवलोकन करें तो देश के बड़े बड़े राजनीतिज्ञ, उनके प्रवक्ता और जाने माने पैनलिस्ट कह रहे थे की सत्ता विरोधी लहर की वजह से 2019 में मोदी जी को 180-200 सीट ही मिलेंगी। इस समय चुनावी नतीजे आने से पूर्व मैंने लिखा था इस बार 300 पार और भाजपा को 303 सीट मिलीं थी।
वोटर के मन में क्या
जमीनी स्तर पर वोटर के मन में क्या चल रहा है, जानने के लिए कोई बीज गणित नहीं अंक गणित से ही पता चल सकता है। इसके लिए जनता का मनोभाव, प्रतिद्वंद्वियों की ताकत और कमजोरी, जनता का विश्वास और पार्टियों द्वारा किया काम, जनता का आकलन, भावनात्मक जुड़ाव ही आवश्यक होता है।
अभी जो देश में माहौल चल रहा है, उससे प्रतीत होता है कि भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वियों से बहुत आगे चल रही है। इसके बहुत से कारण हैं।
पहला और सबसे बड़ा कारण है विपक्षी नेता जनता में अपना विश्वास नहीं पैदा कर पा रहे हैं। वे कुछ भी कह दें, कुछ भी देने का वायदा कर दें, जनता उनके झांसे में आने को तैयार ही नहीं है। इसका एक ट्रेलर हमने हाल ही में राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में देख लिया है जहां विपक्षियों ने सब कुछ लुटा देने का वायदा किया लेकिन जनता ने उन्हें ठेंगा ही दिखाया।
– विपक्षी नेता जनता में विश्वास नहीं पैदा कर पा रहे
विपक्षियों का लगातार झूठ बोलने का इतिहास
इस अविश्वास का मुख्य कारण विपक्षियों का लगातार झूठ बोलने का इतिहास है। कुछ प्रमुख झूठों का नमूना प्रस्तुत है- केजरीवाल ने 2019 में कहा था कि यदि नरेंद्र मोदी सत्ता में आ गए तो देश नहीं बचेगा (अब तो 2024 है खत्म हो गया क्या?)। केजरीवाल ने यह भी कहा था कि वे (मोदी) संविधान बदल देंगे, चुनाव नहीं होंगे (चुनाव तो हो रहे हैं)।
राहुल ने कहा था,देश में आग लगेगी ( लग गई क्या), लालू ने कहा था, आरक्षण खत्म हो जाएगा ( खत्म हो गया क्या?), ओवैसी ने कहा था, संसद में मुसलमानों की लिंचिंग होगी (हुई क्या?), संजय राउत ने कहा कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के समय देश में दंगे कराए जाएंगे (हुए क्या?), ममता ने कहा था, मोदी आए तो आगे चुनाव नहीं होंगे (चुनाव तो हो रहे हैं), अखिलेश ने कहा कि बाबा अंबेडकर के दिये अधिकार वापस ले लिए जाएंगे (वापस हो गये क्या?), राघव चड्ढा ने कोरोनाकाल में बेचैनी बढ़ाने के लिए कहा था कि देश में वैक्सीन लगाने में पंद्रह साल लग जाएंगे ( दो सौ क़रोड़ वैक्सीन विश्व में सबसे पहले भारत में छह महीने में लग गई), केजरीवाल ने कहा सीएए में चाहे हिंदू हो या मुसलमान जिसके पास डॉक्यूमेंट नहीं होंगे, उन्हें देश से निकाल दिया जाएगा ( कोई निकाला गया क्या?), प्रियंका ने कहा अग्निवीर से सेना को ख़त्म कर देंगे ( सेना खत्म हुई क्या?), प्रशांत भूषण ने कहा पुलवामा पार्ट दो होगा (हुआ क्या?)।
ऐसे अनगिनत झूठ विपक्षी नेता लगातार बोलते हैं इसलिए जनता इनकी किसी बात पर विश्वास नहीं करती। विपक्ष का हर नेता पीएम मोदी को हटाने की बात करता है।
देश को विकसित राष्ट्र बनाने की बात
मोदी जी देश को विकसित राष्ट्र बनाने की बात करते हैं, तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की बात करते है, ग़रीबों को ग़रीबी से बाहर निकालने की बात करते हैं और करके दिखाया है। इसलिए आजकल पीएम नरेन्द्र मोदी की गारंटी चल रही है।
मोदी के लिए यह चुनाव जनता लड़ रही है
एक और महत्वपूर्ण बात जो देखने को मिल रही है वह यह है कि मोदी के लिए यह चुनाव जनता लड़ रही है। चारों ओर देख रहा हू कि छोटे छोटे ग्रुप बन गये हैं। सनातन की रक्षा के लिए भाजपा को सपोर्ट करने की अपील कर रहे है। जब कोई चुनाव जन आंदोलन बन जाता है तो चार सौ पार का नारा भी संभव लगने लगता है।
विपक्षियों के प्रवक्ता झुंझलाहट में
आख़िरी बात विपक्षियों के जितने भी प्रवक्ता टीवी डिबेट में आजकल आ रहे हैं झुंझलाहट भरे दिखाई पड़ते है, चीखते दिखते हैं, हताश दिखते हैं और उधर भाजपा के प्रवक्ता शांत, शालीन दिखते हैं। प्रतिदिन बहुत से लोगों से मेरा साक्षात्कार होता है। विपक्षी पार्टियों के प्रतिबद्ध चंद लोगों के अलावा साधारण जनता मोदी जी के पक्ष में ही दिखती है। इसलिए कहा जा सकता है कि विपक्ष हारे तो मोदी की विजय और मोदी जीते तब भी मोदी की विजय। 2024 के लिए तो जनता ने मन बना लिया दिखता है।