ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। अमेरिका में भारतीय छात्रों पर बढ़ रहे हमलों पर पीएम मोदी सरकार के सख्त तेवरों से अमेरिकी प्रशासन की नींद खुली है और वह हरकत में आया लगता है। इस मुद्दे पर व्हाइट हाउस ने प्रबंधों को लेकर बयान जारी किया है। पिछले कुछ अर्से के भीतर अमेरिका में भारतीयों छात्रों पर कहर टूटा है। 38 दिनों के अंदर 7 भारतीय छात्रों की मौत हुई है। ये सभी स्टूडेंट्स पढ़ाई के लिए अमेरिका गये थे लेकिन डिग्री के बजाए मौत मिली।
हमलों से भारतीय छात्रों में बेहद खौफ है
व्हाइट हाउस ने इसे लेकर बयान जारी किया जिसमें बताया कि भारतीय छात्रों पर हमले रोकने के लिए बाइडेन प्रशासन कड़ी मेहनत कर रहा है। राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनकी सरकार भारतीय छात्र-छात्राओं पर होने वाले हमलों को रोकने के लिए कृतसंकल्प हैं।
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि सरकार भारतीय छात्रों पर हो रहे हमलों को सख्ती से रोकेगी। जॉन किर्बी ने कहा कि नस्ल, लिंग, धर्म या किसी भी अन्य कारण से हिंसा की कोई जगह नहीं है। अमेरिका में तो ये बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा, भारतीय छात्रों पर हमले रोकने के लिए राज्य और स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है और हर मुमकिन कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि इन हमलों के लिए जो भी जिम्मेदार हैं, उन्हें इसके जवाबदेह ठहराया जाएगा।
यूनिवर्सिटी कैंपस के नजदीक हो रहे हमले
ये जानलेवा हमले यूनिवर्सिटी कैंपस के नजदीक हो रहे हैं। इसके बावजूद अमेरिकी यूनिवर्सिटीज के प्रशासन ने भारतीय छात्रों की सुरक्षा के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए।
इंडियाना, ओहियो और कनेक्टिकट में ज्यादा हमले
भारतीय छात्रों पर ज़्यादातर हमले जिन यूनिवर्सिटीज में हुए,वे डोनाल्ड ट्रम्प के प्रभाव क्षेत्र वाले राज्य हैं जैसे – इंडियाना, ओहियो, और कनेक्टिकट । सबसे ज़्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि इन राज्यों में गन कल्चर भी अधिक है। अमेरिका में 2022 में 12, और 2023 में 30 भारतीय छात्रों की हत्या या मौत हुई है।
यह है डरावना सिलसिला
भारतीय छात्रों पर इस साल हुए हमलों की फेहरिस्त देखने से पता चलता है कि – 15 जनवरी को कनेक्टिकट में जी गणेश और 16 जनवरी को जार्जिया में विवेक पर हमला हुआ। 20 जनवरी को इलिनोइस में अकुल धवन, 30 जनवरी को इंडियाना में नील आचार्य, 1 फरवरी को ओहियो में श्रेयस रेड्डी और 6 फरवरी को इंडियाना में ही 23 साल के समीर कामथ की हत्या हुई। समीर, इंडियाना की मशहूर पेड्यूर यूनिवर्सिटी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट का स्कॉलर था ।
इन राज्यों की ओर ज्यादा रुझान
वैसे ज्यादातर भारतीय छात्र – कैलिफोर्निया, न्यूयार्क, मैसाचुसेट्स, टेक्सास और इलिनोइस राज्यों की यूनिवर्सिटीज़ में पढ़ने के लिए जाते हैं।
इंडियन स्टूडेंट मोबिलिटी रिपोर्ट 2023 के मुताबिक कैलिफोर्निया में 33 हज़ार से ज़्यादा, न्यूयार्क में 28 हजार 600, मैसाचुसेट्स में 17 हज़ार 800, टेक्सास में 16 हजार 600, इलिनोइस में 11 हजार 700 से ज़्यादा भारतीय छात्रों ने एडमिशन लिया है। अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीय छात्र 60 परसेंट मास्टर्स डिग्री में, 33 परसेंट बैचलर्स डिग्री में 5 फ़ीसदी प्रोफेशनल कोर्सों में और 2 परसेंट डिप्लोमा कोर्सेज में एडमिशन लेते हैं।
अमेरिका की एकोनॉमी में अहम योगदान
अमेरिका की एकोनॉमी में भारतीय छात्र हर साल लगभग 10 अरब डालर यानी 800 अरब रुपये से ज़्यादा की धनराशि डाल रहे हैं।
इंडियन स्टूडेंट मोबिलिटी की रिपोर्ट 2023 में बताया गया है कि 2019 में भारतीय छात्रों ने अमेरिकी अर्थ व्यवस्था में 670 अरब रुपये डाले थे। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2025 में भारतीय छात्रों द्वारा अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 1400 अरब रुपए डाले जाने का अनुमान है जो कि उच्च शिक्षा में केंद्रीय बजट से लगभग 1000 अरब रुपए ज्यादा है ।
अमेरिकी प्रशासन बुरी तरह से फेल
अमेरिका के आर्थिक ढांचे को इतनी मज़बूती देने वाले भारतीय छात्रों और युवाओं के जीवन की सुरक्षा करने मं0 अमेरिकी प्रशासन बुरी तरह से फेल साबित हुआ है। यह बेहद शर्मनाक है।
इतनी है छात्रों की संख्या
अब हम आपको अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या के बारे में बताते हैं। भारत से हर साल लगभग ढाई लाख छात्र पढ़ाई के लिए अमेरिका जाते हैं। यह संख्या अमेरिका में आने वाले सभी विदेशी छात्रों का लगभग 25 फीसदी है।
‘ब्यूरो ऑफ़ एजुकेशनल, एंड कल्चरल अफ़ेयर्स, यूएसए और ‘इंस्टिट्यूट ऑफ़, इंटरनेशनल एजुकेशन ‘ की नवंबर 2023 की रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2022-23 में 10 लाख 57 हजार, विदेशी छात्र पढ़ने के लिए अमेरिका आये ।
इनमें से साढ़े पांच लाख छात्र यानी 52 फीसदी छात्र चीन और भारत के हैं। इसमें चीनी छात्रों का हिस्सा 27 फीसदी और भारतीय छात्र 25 फीसदी है। ओपन डोर्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि उच्च शिक्षा के लिए भारतीय छात्रों की पहली पसंद अमेरिका है।
37.50 फीसदी छात्र आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब से
उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका जाने वाले भारतीय छात्रों में से लगभग 37.50 फीसदी हिस्सा केवल तीन राज्यों – आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब का है। इस हिसाब से प्रत्येक राज्य का हिस्सा साढ़े बारह फीसदी यानी 12.50 प्रतिशत बैठता है।
इन राज्यों से प्रतिशत 24 छात्र
इसके बाद गुजरात, तमिलनाडु और दिल्ली समेत समूचे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, यानी एनसीआर का नंबर आता है। इन तीनों राज्यों- गुजरात, तमिलनाडु और दिल्ली एनसीआर से अमेरिका जाने वाले भारतीय छात्रों का प्रतिशत 24 है।
अमेरिका में भारतीय छात्रों पर होने वाले अत्याचार, और हिंसक घटनाओं का अध्ययन , “ टीम एड “ नामक संगठन ने किया है। इस संस्था ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि अमेरिका में, भारतीय छात्रों के सामने मुख्य रूप से पांच तरह की जटिल समस्यायें आती हैं।
नंबर एक- ड्रगिस्ट के हमले
अमेरिका में पिछले कुछ समय से ड्रग एब्यूज के मामलों में काफी तेजी आई है। भारतीय छात्र इन ड्रगिस्ट का शिकार आसानी से बन जाते हैं। खबर मिली है कि पंचकुला के विवेक सेनी की जान ऐसे ही एक ड्रगिस्ट ने अचानक उन पर हमला करके ले ली।
नंबर दो : अनेक भारतीय अभिभावक अपने बच्चों को अमेरिका में पढ़ाने के लिए भारी लोन लेते हैं। इस लोन का तनाव बच्चों पर भी रहता है। लोन की वापसी और पढ़ाई के बाद अच्छी नौकरी न मिलने की सोच की चिंता इन बच्चों में कुंठा पैदा करती है ।
नंबर तीन : उत्तर भारत से अमेरिका जाने वाले अनेक छात्रों को अंग्रेजी भाषा बोलने और उसे समझने की समस्या का सामना करना पड़ता है। कोई घटना होने पर, ऐसे भारतीय छात्र स्थानीय अधिकारियों से बातचीत करने और उन्हें समझाने में हिचकते हैं और उन्हें सही तरीक़े से समझा न पाने के कारण उनकी समस्याएं ज़रुरत से ज्यादा बढ़ जाती हैं।
नंबर चार : भारतीय छात्रों का असुरक्षित स्थानों पर रहना। ऐसे में वे स्थानीय आपराधिक तत्वों के निशाने पर आ जाते हैं।
नंबर पांच : अनेक भारतीय छात्र मॉल और दुकानों पर जॉब करके अपना खर्च निकालते हैं। वे देर रात को घर लौटते हैं। ऐसे में , असामाजिक तत्व लूट के इरादे से इन भारतीयों को अपना निशाना बनाते हैं। बेरोजगार अमेरिकी समझते हैं कि अमेरिका में आने वाले भारतीय उनकी नौकरी खा जाएंगे।
भारत में कानून व्यवस्था का असर
आज भारत में कानून- व्यवस्था और सुरक्षा की स्थिति दुनिया में शीर्ष पर है। मोदी सरकार की सख्त नीतियों का ही नतीजा है कि आज भारत में हर एक विदेशी चाहे, टूरिस्ट हो या फिर स्टूडेंट, सभी बेख़ौफ़ घूम रहे हैं।
विदेशी विश्वविद्यालय भारत आने को लालायित
आज भारत में दुनिया की बड़ी से बड़ी यूनिवर्सिटी अपने कैंपस खोलने के लिए मोदी सरकार से आग्रह-अनुरोध कर रही है। भारत के एकेडेमिक सेक्टर के सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस में विदेशी लोग दाखिला लेने के लिए आतुर हैं।
नये भारत की नई शिक्षा नीति
नये भारत की नई शिक्षा नीति के आने के बाद से अपने देश में स्वदेशी शिक्षा का महत्व और सम्मान बहुत बढ़ गया है। नैनो टेक्नोलॉजी, सेमी कंडक्टर , एयरो स्पेस टेक्नोलॉजी, डिफेंस एंड एयर क्राफ्ट टेक्नोलॉजी जैसे अनेक क्षेत्रों में भारत दुनिया में सबसे आगे निकल चुका है।
संसद के बजट सत्र में भी उठा था मामला
संसद के बजट सत्र में सरकार ने विदेशों में भारतीय छात्रों की मौत से जुड़े आंकड़े पेश किए थे। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 2 फरवरी को बताया था कि 2018 से अब तक विदेश में 403 भारतीयों की मौत हो चुकी है।