ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। जीआई टैग वाले कोंकण के हापुस आम के नाम पर फर्जीवाड़ा रोकने के लिए नए क्यूआर कोड का इस्तेमाल किया जाएगा। कोंकण हापुस आम उत्पादक और विक्रेता सहकारी समिति ने जीआई रजिस्टर्ड किसानों को कोड उपलब्ध कराए हैं। इससे ग्राहक को पता चल जाएगा कि आम असली है या नकली।
हालांकि वाशी एपीएमसी मार्केट में ये आम अभी बिकने नहीं आए हैं। शिकायतें मिलती रही हैं कि हापुस के नाम पर कर्नाटक का आम बेचा जा रहा है। कोंकण के देवगढ़ हापुस आम का महत्व बनाए रखने के लिए डॉ. विवेक भिड़े के नेतृत्व में हापुस उत्पादक संगठनों ने दो साल पहले क्यूआर कोड प्रणाली शुरू की। शुरुआत में इसमें कई चुनौतियां आईं ं। कोड के दोबारा इस्तेमाल की आशंका थी। इस साल नए कोड तैयार किए गए हैं। इनके दोबारा इस्तेमाल के चांस कम हैं।
स्कैन कीजिए और सच्चाई जानिए
क्यूआर कोड को मोबाइल से स्कैन करते ही एक्सपायरी डेट, पैकिंग डेट और आम उत्पादक किसान की जानकारी मिल जाएगी। इसमें आम के बगीचे की फोटो, गूगल लोकेशन, किसान के फोन नंबर सहित कई अन्य जानकारियां भी होंगी।
एपीएमसी को है इनका इंतज़ार
नवी मुंबई के आम व्यापारी सुनील केवट ने बताया कि एपीएमसी फल बाजार में कोंकण आम की आवक तो बढ़ गई है लेकिन जितना ‘क्यूआर कोड’ किसानों को मिला है, वह कम है। ऐसे में क्यूआर कोड वाले आम अभी नहीं आने लगे हैं।
आम के आम, किसानों को सही दाम
महाराष्ट्र राज्य आम उत्पादक संघ के अध्यक्ष चंद्रकांत मोकल ने बताया कि नकली आम की आवक रोकने के लिए कोंकण में ही हापुस की ब्रैंडिंग की जा रही है। हमने एपीएमसी व्यापारियों को विपणन विभाग के मार्फत इस दिशा में निर्देश देने की मांग की है ताकि किसानों को सही भाव मिले और ग्राहकों को असली हापुस।