ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कर्मचारी द्वारा सीनियर पर हमले को गंभीर करतूत (मिसकंडक्ट) मानते हुए सुपरवाइजर को थप्पड़ मारने वाले हिंदुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के कर्मचारी की सेवा बहाली रद कर दी है।
कोर्ट ने माना कि कार्यस्थल पर अनुशासन बनाए रखने के लिए बर्खास्तगी के आदेश को कायम रखना जरूरी है। इससे पहले सेंट्रल गवर्मेंट इंडस्टि्रयल ट्रिब्यूनल (सीजीआईटी) ने मामले से जुड़ी घटना को इतना गंभीर मानने से इनकार कर दिया था कि कर्मचारी को नौकरी से निकाल दिया जाए, क्योंकि सुपरवाइजर के शरीर में कोई गंभीर चोट नहीं लगी थी।
जांच रिपोर्ट में काफी विसंगतियां
मामले की विभागीय जांच निष्पक्ष तरीके से नहीं हुई थी। जांच रिपोर्ट में काफी विसंगतियां मिली थीं। ट्रिब्यूनल ने कर्मचारी का एक इन्क्रीमेंट रोकने का आदेश दिया था और 20 प्रतिशत बैकवेज का भुगतान करने का निर्देश दिया था। सितंबर, 2102 के इस फैसले को एचपीसीएल और कर्मचारी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
उचित नहीं होगा उदारता दिखाना
जस्टिस एस.वी. मारने ने ट्रिब्यूनल के आदेश की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि प्रकरण में उसका आदेश चौंकाने वाला है। गलत हरकत करने वाले कर्मचारी के प्रति ऐसी उदारता अन्य कर्मचारियों को ऐसी करतूत करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। गौरतलब है कि मामले से जुड़े कर्मचारी को एचपीसीएल के उत्पादों का तापमान रिकॉर्ड करने का काम सौंपा गया था। लोडिंग और अनलोंडिंग के दौरान उत्पाद की मात्रा निर्धारित करने के लिए सटीक तापमान का रिकॉर्ड रखना महत्वपूर्ण है।
सुपरवाइजर की बात सुनने की बजाय उसके साथ मारपीट की
कर्मचारी ने एक ट्रैक के टैंक के तापमान को 260 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया था, जो गलत था। सुपरवाइजर ने इसमें सुधार किया और कर्मचारी को बदलाव करने को कहा, मगर कर्मचारी ने सुपरवाइजर की बात सुनने की बजाय उसके साथ मारपीट की। विभागीय जांच में कर्मचारी को अशोभनीय आचरण के लिए दोषी पाया गया और उसे नौकरी से निकाल दिया गया। जस्टिस मारने के कहा कि आरोपी को दोष को साबित करने के लिए रिकार्ड में पर्याप्त सामग्री है और कर्मचारी की याचिका को खारिज कर दिया।