ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। राष्ट्रपति बनने से पहले द्रौपदी मुर्मू को मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल करने की आदत नहीं थी। इसी कारण शायद उन्होंने अपने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण कॉल मिस कर दी थी। यह कॉल उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय से आई थी। यह बताने के लिए कि उन्हें राष्ट्रीय जनतातंत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जा रहा है। एक नई पुस्तक में यह दावा किया गया है। बिकाश चंद्र मोहंतो हाथ में अपना फोन लिए भागे-भागे मुर्मू के घर आए। कहा कि उनके पास प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से फोन आया था और आपसे संपर्क करने के लिए कहा गया है। मोहंतो झारखंड में उनके ओएसडी (विशेष सेवा अधिकारी) रह चुके थे। पिछले साल जून में उस दिन मुर्मू अपने पैतृक गांव उपारबेड़ा, रायरंगपुर में थीं।
मोहंतो ने अपना फोन मुर्मू को सौंप दिया और दूसरी तरफ से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बात कर रहे थे।’ रे ने लिखा, ‘वह जानती थीं कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में वह राजग की पसंद थीं। मुर्मू के पास शब्द नहीं थे और उन्होंने मोदी से पूछा कि क्या मैं उम्मीद के मुताबिक जिम्मेदारी निभा पाऊंगी, तो मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह ऐसा कर सकती हैं।’ काफी बाद में रांची में विधायकों और सांसदों की एक बैठक के दौरान मुर्मू ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री ने मुझसे कहा है कि आपने जिस तरह से झारखंड की राज्यपाल रहते हुए राज्य को संवारा, मुझे विश्वास है कि आप इस जिम्मेदारी को भी काफी कुशलता से निभा सकेंगी।
‘हाल में रूपा प्रकाशन की ओर से प्रकाशित पत्रकार कस्तूरी रे की पुस्तक ‘द्रौपदी मुर्मू: फ्रॉम ट्राइबल हिंटरलैंड टू रायसीना हिल’ में 21 जून 2022 की इस घटना का जिक्र किया गया है।
रे ने इस पुस्तक के जरिए एक शिक्षक से लेकर सामाजिक कार्यकर्ता, पार्षद से लेकर मंत्री और झारखंड की राज्यपाल बनने से लेकर भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बनने तक की मुर्मू की यात्रा को रेखांकित किया है।