मनोज जैन
नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि चार देशों (भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान) का क्वाड समूह के रूप में एक साथ आना बहुध्रुवीय व्यवस्था के विकास और प्रभाव क्षेत्रों के खिलाफ शीतयुद्ध के बाद की सोच को आगे बढ़ाने का काम करता है।
उन्होंने कहा, क्वाड एक स्टेटमेंट है कि कोई अन्य समान विचारधारा वाले देशों की पसंद पर मनमर्जी से वीटो नहीं कर सकता है। जयशंकर के बयान को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता पर बढ़ती वैश्विक चिंताओं से जोड़कर देखा जा रहा है।
पूरी दुनिया के हित में क्वाड
रायसीना संवाद के इतर ‘क्वाड थिंक टैंक फोरम’ में जयशंकर ने कहा कि क्वाड पूरी दुनिया के हित में है। क्वाड का गठन वैश्विक व्यवस्था में बदलाव से प्रेरित है जो समान विचारधारा वाले देशों के बीच ज्यादा से ज्यादा समन्वय को प्रेरित करता है।
क्वाड के पांच अहम संदेश
उन्होंने कहा कि क्वाड के अहम पांच संदेश हैं। इनमें पहला बहुध्रुवीय व्यवस्था के विकास को दर्शाता है। दूसरा, यह शीतयुद्ध के बाद की सोच, तीसरा किसी देश पर दबाव बनाने की प्रवृत्ति के खिलाफ, चौथा लोकतंत्रीकरण और सहयोग के दृष्टिकोण को दर्शाने वाला तथा पांचवां यह कि आज कोई भी हमारी पसंद पर मनमर्जी से वीटो नहीं कर सकता।
हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र की चुनौतियां
उन्होंने कहा कि क्वाड हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र की चुनौतियों और इसके मुद्दों पर फोकस कर रहा है। इनमें समुद्री सुरक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी, साइबर सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई प्रमुख हैं। क्वाड रचनात्मक, लचीला, तेज, उत्तरदायी और खुले दिमाग वाला एंटरप्राइज है।