ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। ‘द लैंसेट पब्लिक हेल्थ जर्नल’ में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार स्कूल या विश्वविद्यालय में बिताया गया हर साल लंबी उम्र जीने की उम्मीद बढ़ा सकता है, जबकि शैक्षणिक संस्थान में नहीं जाना, धूम्रपान या अत्यधिक शराब के सेवन के समान खतरनाक हो सकता है।
शोध में 59 देशों के आंकड़े की पहचान की गई और 600 से अधिक प्रकाशित लेखों से एकत्र किए गए 10,000 से अधिक आंकड़ों के बिंदुओं को शामिल किया गया।
नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एनटीएनयू) के शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि शिक्षा उम्र, लिंग, स्थान और सामाजिक और जनसांख्यिकीय पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना जीवन बचाती है।
उन्होंने पाया कि शिक्षा के प्रत्येक अतिरिक्त वर्ष के साथ मृत्यु का जोखिम दो प्रतिशत कम हो जाता है। इसका मतलब है कि जिन लोगों ने प्राथमिक विद्यालय के छह साल पूरे कर लिए, उनमें मृत्यु का जोखिम औसतन 13 प्रतिशत कम था।
अध्ययन के अनुसार, माध्यमिक विद्यालय से स्नातक होने के बाद मृत्यु का जोखिम लगभग 25 प्रतिशत कम हो गया और 18 साल की शिक्षा ने जोखिम को 34 प्रतिशत कम कर दिया।
शोधकर्ताओं ने शिक्षा के प्रभावों की तुलना अन्य जोखिम कारकों जैसे कि स्वस्थ आहार, धूम्रपान और बहुत अधिक शराब पीने से भी की और उन्होंने पाया कि स्वास्थ्य परिणाम समान हैं।
उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए 18 साल की शिक्षा के लाभ की तुलना आदर्श मात्रा में सब्जियां खाने से की जा सकती है न कि सब्जियां बिल्कुल नहीं खाने से।
शोधकर्ताओं ने कहा कि स्कूल न जाना उतना ही बुरा है जितना कि प्रति दिन पांच या अधिक मादक पेय पीना या 10 साल तक प्रति दिन दस सिगरेट पीना।
अध्ययन के सह लेखक टेर्जे एंड्रियास ईकेमो ने कहा कि शिक्षा न सिर्फ स्वास्थ्य के लिहाज से बल्कि यह अपने आप में महत्वपूर्ण है। शोधकर्ताओं ने कहा कि जहां शिक्षा के लाभ युवाओं के लिए सबसे अधिक हैं, वहीं 50 और यहां तक कि 70 वर्ष से अधिक उम्र के लोग अब भी शिक्षा के सुरक्षात्मक प्रभावों से लाभान्वित होते हैं।
एनटीएनयू में सह-प्रमुख लेखक और पोस्ट डॉक्टरल फेलो मिर्जा बालाज ने कहा, ‘‘हमें दुनिया भर में बेहतर और अधिक से अधिक लागों की शिक्षा तक पहुंच को सक्षम बनाने के लिए सामाजिक निवेश बढ़ाने की जरूरत है।’’
अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन्स स्कूल ऑफ मेडिसिन में इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (आईएचएमई) के सह-प्रमुख लेखक और शोधकर्ता क्लेयर हेंसन ने कहा, ‘‘शिक्षा के अंतर को खत्म करने का मतलब मृत्यु दर अंतर को खत्म करना है और हमें अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता की मदद से गरीबी और रोकी जा सकने वाली मौत के चक्र को तोड़ने की जरूरत है।’