ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। जब दांतों के उत्कृष्ट स्वास्थ्य को बनाए रखने की बात आती है तो मुंह के बैक्टीरिया के विकास को नियंत्रित करने पर जोर दिया जाता है। कांस्य युग के मनुष्यों के मुंह में बैक्टीरिया की ज्यादा विविधता थी। मानव दांतों के नमूनों का विश्लेषण करने वाले एक अध्ययन के अनुसार चूना पत्थर की गुफा में 4 हजार साल पुराने दांतों के संरक्षित माइक्रोबायोम से पता चला है कि आधुनिक मनुष्य माइक्रोबियल विविधता खो रहे हैं। कई सूक्ष्मजीव मानव शरीर का रोगजनकों के खिलाफ बचाव करते हैं।
इनके अभाव में मसूढ़ों के क्षय जैसी बीमारियां बढ़ी हैं। जर्नल मॉलिक्यूलर बायोलॉजी एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार पुराने दांतों के नमूनों में आधुनिक मनुष्यों की तुलना में मसूढ़ों की बीमारी के लिए उत्तरदायी बैक्टीरिया टैनेरेला फोसिंथिया की अधिक विविधता पाई गई। अध्ययन में यह बताया गया है कि समय के साथ मानव मौखिक माइक्रोबायोम कैसे विकसित हुआ। वर्तमान में तीन चौथाई मौखिक मेटाजीनोम पिछले ढाई हजार वर्षों के भीतर के हैं। इनमें मध्ययुगीन काल से पहले के कुछ पूर्ण जीनोम उपलब्ध हैं। वर्तमान में शोधकर्ताओं को प्रागैतिहासिक जीवाणु विविधता के बारे में सीमित ज्ञान है। प्राचीन मानव दांत यह भी जानकारी प्रदान कर सकते हैं कि वर्षों में मौखिक माइक्रोबायोम कैसे विकसित हुआ है।
नमूनों पर दंत क्षय कानहीं मिला कोई सबूत
टीम को नमूने वाले दांतों पर दंत क्षय का कोई सबूत नहीं मिला, जबकि एक दांत की जड़ में क्षय पैदा करने वाले बैक्टीरिया स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटन्स की उच्च मात्रा पाई गई। स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटन्स ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया हैं जो दांतों की सतह पर बायोफिल्म बनाते हैं। ये जीव आहार शर्करा के किण्वन के बाद उच्च स्तर के लैक्टिक एसिड का उत्पादन कर सकते हैं और कम पीएच के प्रतिकूल प्रभावों के प्रति प्रतिरोधी हैं, जो कैरोजेनिक बैक्टीरिया के लिए आवश्यक गुण हैं।
मुंह में बैक्टीरिया की मौजूदगी निर्धारित नहीं
यह सटीक रूप से निर्धारित करना असंभव है कि मुंह के अंदर कितने बैक्टीरिया मौजूद हैं। हालांकि कुछ अनुमान 20 अरब तक है। शोधकर्ताओं के अनुसार एक आदमी के मुंह में 500 से 650 प्रजातियां हैं। यह जीभ और दांतों, गालों और मौखिक श्लेष्मा को कवर करने वाली बायोफिल्म में पाए जाते हैं। खाद्य पदार्थों, पेय पदार्थों और दंत स्वच्छता की गुणवत्ता के आधार पर उनकी संख्या तेजी से बदल सकती है।
बैक्टीरिया के घटने व बढ़ने का असर
शोधकर्ताओं के अनुसार यदि उन्हें अनियंत्रित रूप से बढ़ने दिया गया तो मौखिक बैक्टीरिया जल्द ही (48 घंटों के भीतर) कठोर होकर प्लाक में बदल जाते हैं और दांतों और मसूड़ों के क्षय में योगदान कर सकते हैं। घटने के बाद यह रोगाणुओं से लड़ने में विफल हो जाते हैं। अनदेखा करने पर मौखिक बैक्टीरिया कई समस्याओं का कारण बनते हैं।