ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। 2013 में प्रतिबंध लगने के बावजूद देश के विभिन्न हिस्सों में सिर पर मैला ढोने की प्रथा जारी है। इसके मद्देनजर बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाथ से मैला ढोने पर लगी रोक को सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार को नोडल अधिकारी की नियुक्ति करने का निर्देश दिया है।
प्रदेश के सामाजिक न्याय व विशेष सहायता विभाग के सचिव यह नियुक्ति करेंगे, जो सरकार के विभिन्न विभागों और लोकल अथॉरिटी के बीच तालमेल स्थापित करेगा। नोडल अधिकारी को अगली सुनवाई के दौरान शहरी और ग्रामीण इलाकों में हाथ से मैला ढोने वाले लोगों के पुनर्वसन, बेहतरी और सर्वेक्षण को लेकर उठाए गए कदमों की जानकारी पेश करने का निर्देश दिया है।
2013 में लगा था प्रतिबंध
जस्टिस नितिन जामदार और जस्टिस एमएम साठे की बेंच ने कहा कि कानून हाथ से मैला ढोने की प्रथा को अमानवीय मानता है। 2013 में कानून लाकर इस प्रथा पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है। इस कानून के प्रावधानों पर प्रभावी ढंग से अमल जरूरी है।
अफसरों को दिए निर्देश
जस्टिस ने कहा कि व्यक्तिगत स्तर के बजाय इस मुद्दे को व्यापक नजरिए से देखने की जरूरत है, क्योंकि देश के विभिन्न हिस्सों में यह प्रथा अभी अस्तित्व में है। बेंच ने वैसे तो नोडल अधिकारी को मैला ढोने पर लगे प्रतिबंध के संबंध में उठाए गए कदमों की जानकारी सभी स्थानीय निकायों से मंगाने को कहा है, लेकिन पहले चरण में अधिकारी को कोर्ट में बीएमसी, केडीएमसी, टीएमसी और मीरा भाईंदर महानगरपालिका की जानकारी पेश करने का निर्देश दिया है। इस विषय पर श्रमिक जनता संघ ने याचिका दायर की है। 7 मई को याचिका परअगली सुनवाई होगी।
‘क्या स्टेट लेवल कमेटी का गठन हुआ है ‘
अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सचिव से जानना चाहा है कि क्या मैला ढोने पर प्रतिबंध के लिए स्टेट मॉनिटरिंग कमिटी, विजलेंस कमेटी, स्टेट लेवल सर्वे कमेटी और उप विभागीय कमेटी का गठन किया गया है। यदि यह कमेटी नहीं है, तो इनके गठन को लेकर कितने समय में और क्या कदम उठाए जाएंगे?