ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई । पवई में रहने वाले वाघमारे परिवार में चार सदस्य हैं। इन चारों के पास एक-एक किडनी ही है। ऐसा नहीं है कि उन्हें जन्मजात ही एक किडनी है। वाघमारे दंपत्ति ने अपनी एक-एक किडनी, अपने दोनों बच्चों के लिए दान दी। बच्चों की किडनी ट्रांसप्लांट हुई तो उनकी जान बच गई। वाघमारे परिवार की जान बचाने में मुंबई शहर का बड़ा योगदान है। उनकी उदारता की भावना के कारण ही यह परिवार किडनी ट्रांसप्लांट जैसा मंहगा इलाज वहन कर पाया है।
चर्च और एनजीओ ने की मदद
पिछले 9 महीनों में विले पार्ले (पश्चिम) के नानावटी अस्पताल में उनके चर्च और एनजीओ के माध्यम से एकत्रित दान से किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है। दो बच्चों के पिता दीपक ने कहा, ‘मैं दो साल पहले तक मिराज में लेमन सोडा ड्रिंक यूनिट चलाता था। जब बेटी शोभा बीमार पड़ने लगी। उसके बाद, चिकित्सा संबंधी आपात स्थितियां आ गईं।’
कई डॉक्टरों से मिलने के बावजूद, उनकी बेटी शोभा के वजन घटने और बुखार का कारण पता नहीं चल पाया था। स्थानीय चर्च के माध्यम से, वे बोरिवली के न्यू लाइफ मेडिकल एंड एजुकेशनल फाउंडेशन के ट्रस्टियों से जुड़े, जिन्होंने बच्चे की मदद करने का फैसला किया और परिवार को मुंबई ले आए।
ऐसे पता चला भाई को भी किडनी की बीमारी
नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. जतिन कोठारी ने कहा, ‘जब शोभा लगभग एक साल पहले नानावटी अस्पताल आई थीं, तो वह किडनी फेल होने के कारण सदमे में थी।’ जांचों से पता चला कि एक जेनेटिक म्युटेशन, जो उसके माता-पिता को नहीं था, उसकी वजह से यह स्थिति हुई। उसके भाई-बहनों का परीक्षण किया गया।’ शोभा की बहन ठीक थी लेकिन छोटे भाई में भी इस जेनेटिक बीमारी का पता चला।’
फ्री में हुई डायलिसिस
जब बच्चों की तबीयत खराब होने लगी, तो उन्हें डायलिसिस की जरूरत पड़ी, जो गोरेगांव में प्रबोधन डायलिसिस सेंटर ने मुफ़्त में उपलब्ध कराई। एनजीओ ने चरणों में प्रत्यारोपण करने के लिए नानावटी अस्पताल को चुना क्योंकि उसे धन जुटाने के लिए समय चाहिए था। जबकि शोभा का प्रत्यारोपण सफल रहा लेकिन अनिकेत के प्रत्यारोपण का समय आने पर एक चुनौती खड़ी हो गई।
ओ ब्लड ग्रुप से फंसा पेंच
डॉ. कोठारी ने कहा कि अनिकेत का ब्लड ग्रुप ओ जबकि उसकी मां का बी था। अनिकेत के लिए ओ डोनर लेना ज़्यादा सुरक्षित होगा। डॉ. कोठारी ने कहा, ‘हमने स्वैप विकल्पों की तलाश शुरू की, लेकिन ओ डोनर ढूंढना आसान नहीं था। ओ सार्वभौमिक दाता है, इसलिए ऐसे लोग किसी भी ब्लड ग्रुप वाले अपने रिश्तेदारों को दान कर सकते हैं।’