ब्लिट्ज ब्यूरो
लखनऊ। लखनऊ की एक स्थानीय अदालत ने नमाज अदा करने के लिए कुछ मुस्लिम वकीलों के अदालती कार्यवाही छोड़ने के आचरण पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।
अदालत ने कहा कि इन वकीलों को यह ध्यान रखना चाहिए कि काम ही पूजा है और उन्हें अपने न्यायिक कर्तव्यों का सम्मान करना चाहिए। अदालत ने अवैध धर्म परिवर्तन मामले के आरोपियों को एमिकस क्यूरी (अदालत का मित्र) प्रदान करने का आदेश दिया। यदि मुस्लिम वकील नमाज पढ़ने के लिए अदालती कार्यवाही से खुद को दूर रखते हैं, तो एमिकस क्यूरी मुकदमे की कार्यवाही जारी रख सकते हैं, ताकि न्यायिक कार्यवाही बाधित न हो।
विशेष न्यायाधीश, एनआईए/एटीएस, विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने अवैध धर्म परिवर्तन मामले के संबंध में आरोपी मौलाना कलीमुद्दीन और अन्य के खिलाफ आपराधिक मुकदमे की सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किया। अदालत ने एक आरोपी की ओर से कुछ दस्तावेजों की मांग करने वाले कुछ वकीलों की याचिका को भी खारिज कर दिया।
अदालत ने उन्हें निर्धारित समय के भीतर अदालती कार्यवाही में कोई भी आवेदन दायर करने की चेतावनी भी दी। मुकदमे की कार्यवाही के दौरान, मामला गवाहों से जिरह के लिए तय किया गया था, वकील मोहम्मद अमीर नकवी और वकील जिया-उल-जिलानी ने दोपहर करीब 12.30 बजे अदालत को बताया कि आज शुक्रवार है, इसलिए वे जिरह जारी नहीं रख पाएंगे। शुक्रवार की नमाज के कारण उसे छोड़ने की अनुमति मांगी।