ब्लिट्ज ब्यूरो
नोएडा। बीमा व्यवसाय में निजी बीमा कंपनियों के आगमन के साथ ही जहां भारत में बीमा व्यवसाय की वृद्धि दर दो अंकों में जा पहुंची है, वहीं दूसरी ओर ग्राहकों की शिकायतों में भी कई गुना वृद्धि हुई है। अनेक मामलों में ऐसा पाया गया है कि बीमा कंपनियों एवं उनके प्रतिनिधियों ने बीमित व्यक्तियों और उनके उत्तराधिकारियों की उचित एवं विधि सम्यक शिकायतों को भी मनमाने तरीकों से उनके हितों के विरूद्ध निर्णीत कर दिया। ऐसे में असहाय ग्राहकों का बीमा व्यवसाय पर से विश्वास कम हो जाता है और उन्हें अपनी समस्या के निराकरण हेतु न्यायालयों के चक्क र लगाने पर मजबूर होना पड़ता है।
यह स्थिति न केवल बीमा क्षेत्र के ग्राहकों के हितों के प्रतिकूल है, साथ ही देश में बीमा व्यवसाय के विकास में भी बाधक है। अतः बीमा व्यवसाय में ग्राहकों का भरोसा कायम रखने, हर नागरिक को समुचित बीमा सुरक्षा प्रदान करने एवं देश में बीमा व्यवसाय के संतुलित विकास के लिए जरूरी है कि ग्राहकों की आवश्यकताओं एवं उनकी क्रय क्षमता को ध्यान में रखते हुए पॉलिसियों को तैयार किया जाये। पॉलिसी की शर्तों को सरल एवं आसानी से समझ में आने वाला बनाया जाए, किसी प्रकार का मतभेद होने पर ग्राहक की शिकायतों का प्रभावी और समयबद्ध तरीकों से समाधान किया जाए। इसी उद्देश्य से इस क्षेत्र की नियामक संस्था इरडा ने बीमा लोकपाल संस्था का सृजन किया है जो ग्राहकों की समस्याओं को पंजीकृत करके दोनों पक्षों को सुनवाई हेतु बुलाकर समयबद्ध तरीके से समस्या के निराकरण का प्रयास करता है। ग्राहकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए देश भर में कुल 17 बीमा लोकपाल कार्यालयों की स्थापना की गई है ताकि ग्राहक अपने निकटतम बीमा लोकपाल कार्यालय में जाकर अपनी समस्या का समाधान पा सकें। पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड हेतु बीमा लोकपाल का कार्यालय नोएडा में स्थित है जहां वर्तमान में बिम्बाधर प्रधान बीमा लोकपाल के रूप में पदस्थापित हैं।
– दावे के निपटान में देरी
– दावे का आंशिक अथवा पूर्ण निरस्तीकरण
– पॉलिसी में देय प्रीमियम पर कोई विवाद
– पॉलिसी दस्तावेज या पॉलिसी अनुबंध में शर्तों एवं नियमों की व्याख्या से सम्बंधित कोई विवाद
– बीमाकर्ताओं अथवा एजेंट, उनके मध्यस्थ के विरुद्ध पॉलिसी सेवा सम्बन्धी कोई शिकायत
– बीमा पालिसी का समय से जारी न किया जाना
– बीमित के हितों में सरकार, नियामक संस्था एवं बीमा अधिनियम द्वारा प्रदान किये गए किसी अधिकार को उसे प्रदान न किये जाने के सम्बन्ध में।
विवाद निस्तारण के ग्राफ में हुई वृद्धि
विगत तीन वर्षों में विभिन्न श्रेणियों में क्रमशः 1506, 2052 एवं 3133 शिकायतों का निष्पादन किया गया है और इनमें से ज्यादातर शिकायतों को पॉलिसीधारकों के पक्ष में निर्णीत किया गया है।