डॉ. सीमा द्विवेदी
नई दिल्ली। बाल रोग विशेषज्ञों की संस्था इंडियन एकेडमी आफ पेडियाट्रिक्स ने बच्चों में बढ़ते मोटापे को लेकर चिंता जाहिर की है और मोटापे को लेकर गाइडलाइन को अपडेट किया है जिसके बाद अब मोटापा बीमारी कहलाएगा।
सर्वे ने चौंकाया
मोटापे को बीमारी परिभाषित करने का आधार बच्चों में बढ़ते मोटापे को बनाया गया है जिसमें पिछले कुछ वर्षों में तेजी से इजाफा हुआ है। वर्ष 2019 से 2021 के बीच नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक भारत में 5 साल से कम उम्र के 3.4 फीसदी बच्चे मोटे थ जबकि वर्ष 2015-2016 के डाटा में 2.1 फीसदी बच्चों को मोटा पाया गया था। इससे पहले वर्ष 2006 में किए गए सर्वे में 1.6 फीसदी भारतीय बच्चे ही मोटे थ।
क्या कहता है सर्वे
सर्वे के आधार पर मोटापे को क्रोनिक बीमारी के तौर पर परिभाषित किया गया है। अब तक मोटापे को बीएमआई यानी बाडी मास इंडेक्स से मापा जाता था।
..तो उसे मोटा माना जायेगा
दरअसल मोटापा मापने की इस विधि में व्यक्ति या बच्चे की लंबाई और उसके वजन का अनुपात किया जाता है। जिसके बाद बीएमआई कैलकुलेट किया जाता है। इसे आपको एक उदाहरण से समझाते हैं। मान लीजिये किसी व्यक्ति का कद 5 फीट है, जबकि उसका वजन 50 किलो, तब बीएमआई 21.64 होगा, इसे सामान्य बीएमआई माना जाता है। अगर व्यक्ति की हाइट 5 फीट है और उसका वजन 75 किलो है तब उसका बीएमआई 32.46 होगा। इस स्थिति में बीएमआई ज्यादा है और व्यक्ति मोटा माना जाएगा।
बीएमआई इंडेक्स के मायने
अगर किसी व्यक्ति का बीएमआई 18.5 से 24.9 तो उसे सामान्य माना जाता है जबकि व्यक्ति का बीएमआई 30 से ज्यादा है तो उसे मोटा माना जायेगा।
..बच्चा हेल्दी भले ही दिख रहा हो
अब तक बच्चों के मोटे होने का पता बीएमआई से ही लगाया जाता था, लेकिन अब बच्चों में मोटापा पता करने के लिए कमर भी मापी जायेगी। अमेरिका के सेंटर फार डिजीज कंट्रोल के मुताबिक बच्चों की कमर की गोलाई, उनकी हाइट से आधी होनी चाहिए।
अगर बच्चे की कमर की गोलाई हाइट के आधे से ज्यादा है, तो बच्चे को मोटा माना जाता है.. मान लीजिये बच्चे की हाइट 120 सेंटीमीटर है यानी 4 फीट तब कमर की गोलाई 60 सेंटीमीटर से कम यानी 24 इंच से कम होनी चाहिए। ऐसे में जो बच्चे सामान्य से थोड़े ज्यादा मोटे हैं, उनके माता-पिता के लिए चिंता की बात है। बाहर से उनका बच्चा हेल्दी भले ही दिख रहा हो लेकिन अंदर से किसी बीमारी का शिकार हो सकता है। इसलिए बच्चों के मोटापे को सामान्य समझकर इग्नोर करना भविष्य में नई मुश्किल खड़ी कर सकता है।
मोटापे का खतरा 40 फीसदी तक
अगर मां-बाप में से कोई एक मोटा है तो बच्चों को मोटापे का खतरा 40 फीसदी और अगर दोनों मोटे हैं तो खतरा 80 फीसदी तक रहता है। बच्चों का ज्यादा जंक फूड खाना भी उनमें मोटापे की वजह है। खेलकूद में हिस्सा न लेने से भी मोटापा बढ़ता है। बच्चे को फ्रूट और पौष्टिक आहार खिलाना भी जरूरी है।
उभर सकती हैं ये समस्याएं
भारत के संदर्भ में यूनिसेफ की रिपोर्ट
एक सर्वे के मुताबिक 83 फीसदी बच्चों को लगता है कि मोबाइल फोन उनकी ज़िंदगी का अहम हिस्सा है, औसतन बच्चे साढ़े 6 घंटे मोबाइल में बिता रहे हैं। मोबाइल ने बच्चों को खेलकूद से दूर किया है जिस वजह से वो शारीरिक मेहनत नहीं करते।