ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। कोरोना वायरस चार साल से अधिक समय से वैश्विक स्वास्थ्य के लिए बड़ा जोखिम बना हुआ है। संक्रमण के दौरान कई लोगों में गंभीर रोगों का खतरा देखा गया, इतना ही नहीं संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में पोस्ट कोविड के जोखिमों को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ चिंता जताते रहे हैं। मसलन कोरोना का अगर एक बार संक्रमण हो जाए तो इससे सेहत को कई प्रकार के नुकसान होने का जोखिम हो सकता है। इसी से संबंधित एक हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं की टीम ने बड़ा खुलासा किया है।
रक्त और ऊतकों में रह सकते हैं वायरस
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने शोध के दौरान पाया है कि किसी व्यक्ति के पहली बार कोरोना से संक्रमित होने के बाद वायरस के अवशेष एक वर्ष से अधिक समय तक रक्त और ऊतकों में रह सकते हैं। लॉन्ग कोविड के जोखिमों को लेकर शोध कर रही वैज्ञानिकों की टीम ने बताया कि संक्रमण के बाद 14 महीने तक रक्त में और दो साल से अधिक समय तक ऊतकों के सैंपल में कोरोना वायरस के एंटीजन पाए गए।
क्यों बार-बार हो रहा कोरोना संक्रमण
शोधकर्ताओं ने कहा, संभवत: ये एक कारण हो सकता है कि बार-बार लोग कोरोना से संक्रमित पाए जा रहे हैं। कोरोना के जोखिमों को लेकर सभी लोगों को सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।
यूसीएसएफ स्कूल ऑफ मेडिसिन में संक्रामक रोगों के शोधकर्ता माइकल पेलुसो कहते हैं, ये अध्ययन अब तक का सबसे मजबूत सबूत प्रदान करता है कि कोविड-19 एंटीजन कुछ लोगों में लंबे समय तक बने रह सकते हैं, भले ही हमें लगता है कि उनके पास सामान्य प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएं हैं।
संक्रमण से ठीक होने के बाद भी बने रहते हैं लक्षण
वैज्ञानिक यह समझने के लिए शोध कर रहे थे कि लॉन्ग कोविड के क्या कारण हो सकते हैं, जिसमें बीमारी के लक्षण संक्रमण से ठीक होने के बाद भी महीनों या वर्षों तक बने रहते हैं। लॉन्ग कोविड के कारण सबसे आम लक्षणों में अत्यधिक थकान, सांस लेने में तकलीफ, गंध की कमी और मांसपेशियों में दर्द की समस्या देखी जाती रही है। पर कुछ लोगों में ये हृदय, फेफड़े और मस्तिष्क से संबंधित समस्याओं को बढ़ाने वाली भी हो सकती है।
171 संक्रमित लोगों के ब्लड सैंपल की जांच की
यूसीएसएफ की शोध टीम ने इस अध्ययन के लिए 171 संक्रमित लोगों के ब्लड सैंपल की जांच की। इसमें पाया गया कि कुछ लोगों में संक्रमण के 14 महीने बाद तक कोविड-19 के ‘स्पाइक’ प्रोटीन मौजूद थे। एंटीजन उन लोगों में अधिक पाए गए जिनको संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा था या फिर जिन लोगों में कोरोना के लक्षण काफी गंभीर थे।
कैसे हटाए जा सकते हैं शरीर से वायरस
शोधकर्ताओं के अनुसार कोरोना के वायरल फ्रेग्मेंट्स कनेक्टिव टिश्यू में पाए गए जहां प्रतिरक्षा कोशिकाएं होती हैं। इससे ये भी पता चलता है कि इन फ्रेग्मेंट्स ने प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला किया।
इस शोध के बाद टीम यह पता लगाने के लिए क्लिनिकल परीक्षण कर रही है कि क्या मोनोक्लोनल एंटीबॉडी या एंटीवायरल दवाएं शरीर में बने रहने वाले वायरस को हटा सकती हैं?
लॉन्ग कोविड बना हुआ है बड़ा खतरा
गौरतलब है कि कोरोना वायरस को कई प्रकार से शरीर को क्षति पहुंचाते हुए देखा जा रहा है। हाल ही में लॉन्ग कोविड को लेकर किए गए एक अध्ययन में संक्रमण से ठीक हो चुक लोगों में मस्तिष्क से संबंधित गंभीर समस्याओं को लेकर अलर्ट किया गया है। विशेषज्ञों की टीम ने बताया, जो लोग कोविड-19 से ठीक हो गए, उनमें एक साल बाद तक आईक्यू लेवल में कम से कम 3-पॉइंट तक की कमी देखी गई है।
द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित इस शोध में बताया गया है कि कोरोना संक्रमण के हल्के और गंभीर दोनों प्रकार के मामले वाले लोगों में संज्ञानात्मक गिरावट देखी जा रही है।