ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। पिछले साल की अगस्त की वो तारीख तो सबको याद होगी। इसरो ने चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग कराकर इतिहास रच दिया था। इस सफलता पर वैज्ञानिकों सहित पूरे देश के लोगों की आंखों में खुशी के आंसू थे। इसके बाद अब इसरो चंद्रयान-4 की तैयारी कर रहा है। ऐसा पहली बार होगा कि एक ही मिशन को पूरा करने के लिए एक नहीं दो रॉकेट को लॉन्च किया जाएगा।
इस बार भेजा गया चंद्रयान चांद की जमीन पर लैंड करने के बाद वहां से कुछ सैंपल भी लेकर लौटेगा। हालांकि चंद्रयान-4 को लॉन्च करने में अभी समय है। इसे 2028 से पहले लॉन्च किया जाना है।
भारत बनेगा चौथा राष्ट्र
चंद्रयान-4 इस बार अपने साथ चंद्रमा की चट्टानों और मिट्टी (रेजोलिथ) को वापस लेकर लौटेगा।
दो अलग-अलग रॉकेट भारी लिफ्टर एलवीएम-3 और इसरो का वर्कहॉर्स पीएसएलवी एक ही चंद्र मिशन के लिए अलग-अलग पेलोड ले जाएंगे और अलग-अलग दिनों में लॉन्च किए जाएंगे। यदि यह सफल रहा तो मिशन भारत को चांद की सतह से नमूने लाने की क्षमता वाला चौथा राष्ट्र बना देगा।
इसरो चीफ ने बताया
इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने राष्ट्रीय अंतरिक्ष विज्ञान संगोष्ठी में बताया कि चंद्रयान-4 मिशन का लक्ष्य चांद की सतह से मिट्टी के नमूने इकट्ठा करना और उन्हें पृथ्वी पर वापस लाना है, ताकि वैज्ञानिक उनका अध्ययन कर सकें। पिछले चंद्रयान मिशनों में जहां 2-3 अंतरिक्ष यान होते थे, वहीं चंद्रयान-4 में पांच भाग होंगे। ये भाग हैं- प्रॉपल्शन मॉड्यूल (गति नियंत्रण), डिसेंडर मॉड्यूल (चंद्रमा पर उतरने वाला), असेंडर मॉड्यूल (चंद्रमा से वापसी वाला), ट्रांसफर मॉड्यूल (एक कक्षा से दूसरी कक्षा में जाने वाला) और पुनः प्रवेश मॉड्यूल (पृथ्वी पर वापसी के लिए)।