ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। नेपाल-भारत संयुक्त आयोग की सातवीं बैठक में दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की। नेपाल के विदेश मंत्री एनपी सऊद और भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बैठक की सह-अध्यक्षता की। इस दौरान दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक बिजली समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए। साथ ही दोनों पक्षों ने व्यापार, भूमि, रेल और हवाई कनेक्टिविटी परियोजनाओं, रक्षा और सुरक्षा, जल संसाधनों में सहयोग पर भी चर्चा की। संयुक्त आयोग द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा के लिए गठित उच्चतम स्तरीय राजनीतिक तंत्र है।
10 वर्ष के लिए समझौता
एस जयशंकर और नेपाल के ऊर्जा, जल संसाधन एवं सिंचाई मंत्री शक्ति बहादुर बस्नेत की उपस्थिति में द्विपक्षीय बैठक के दौरान बिजली निर्यात समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। समझौते के तहत अगले 10 वर्षों में भारत को 10,000 मेगावाट बिजली के निर्यात की सुविधा मिलेगी।
चीन ने डराया था नेपाल को
नेपाल ने चीन के डर को दरकिनार करते हुए ये समझौता किया है। इस समझौते की बात सामने आने के बाद चीन ने इसका विरोध किया था और उसकी ओर से नेपाल को डराने की कोशिश भी की गई थी। चीन की तमाम कोशिशों के बावजूद नेपाल ने भारत से ये डील फाइनल की है।
भारत और नेपाल के बीच बिजली व्यापार समझौता बीते साल मई-जून में नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल के भारत दौरे के दौरान तय हुआ था। ये समझौता दोनों देशों में बिजली के व्यापार का रास्ता खोलेगा। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड ने बीते साल 2 जून को साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस समझौते की घोषणा की थी। भारत अपने पड़ोसी और मित्र देश से दीर्घकालिक बिजली व्यापार समझौते के तहत 10 साल में 10,000 मेगावाट बिजली खरीदेगा।
समझौता दोनों के लिए महत्वपूर्ण
यह समझौता भारत और नेपाल, दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। यह पहली बार है कि नेपाल इस तरह के दीर्घकालिक सौदे के तहत अपनी बिजली बेचेगा। समझौते के तहत बिजली पूर्वी नेपाल से गुजरने वाली ढालकेबार-मुजफ्फरपुर क्रॉस-बॉर्डर ट्रांसमिशन लाइन के माध्यम से भारत भेजी जाएगी। दो अन्य परियोजनाओं से बनी शेष 70 मेगावाट बिजली 132 केवी महेंद्रनगर-टनकपुर ट्रांसमिशन लाइन से भारत के बाजार में आएगी।