ब्लिट्ज ब्यूरो
माले। मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब मालदीव की संसद में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी एमडीपी, राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू पर महाभियोग चलाने के लिए एक प्रस्ताव पेश करने की योजना बना रही है। जिसके बाद मुइज्जू की सरकार गिरने की संभावना बन गई है।
चीन समर्थक राष्ट्रपति मुइज्जू के मंत्रिमंडल के सदस्यों से मतभेदों को लेकर सरकार समर्थक संसद सदस्यों और विपक्षी सांसदों के बीच संसद में झड़प होने के एक दिन बाद यह घटनाक्रम सामने आया है।
संसद में हंगामे के बाद बनी योजना
दरअसल, मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) और डेमोक्रेट्स संसदीय समूह ने मतदान से पहले राष्ट्रपति मुइज्जू के मंत्रिमंडल के चार सदस्यों के लिए संसदीय मंजूरी को रोकने का फैसला किया था। सत्तारूढ़ पार्टी प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव और पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीपीएम/पीएनसी) के सरकार समर्थक गठबंधन ने संसदीय बैठक में बाधा डालते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू किया, जिसके बाद हंगामा हो गया।
स्थानीय मीडिया ने एमडीपी के एक सूत्र के हवाले से कहा कि एमडीपी ने डेमोक्रेट के साथ साझेदारी में महाभियोग प्रस्ताव के लिए पर्याप्त हस्ताक्षर एकत्र कर लिए हैं। हालांकि, उन्होंने अभी तक इसे जमा नहीं किया है। रिपोर्ट के अनुसार, एमडीपी की संसदीय समूह की बैठक में महाभियोग प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया। 45 वर्षीय मुइज्जू ने पिछले साल सितंबर में हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में भारत समर्थित उम्मीदवार इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को हराया था।
17 नवंबर को मालदीव के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के तुरंत बाद, मुइज्जू ने औपचारिक रूप से भारत से 15 मार्च तक अपने देश से 88 सैन्य कर्मियों को वापस लेने का अनुरोध किया, उन्होंने कहा कि मालदीव के लोगों ने उन्हें नई दिल्ली से यह अनुरोध करने के लिए जनादेश दिया है।
87 सदस्यों वाली मालदीव की संसद ने महाभियोग प्रस्ताव प्रस्तुत करना आसान बनाने के लिए हाल ही में अपने स्थायी आदेशों में संशोधन किया था। एमडीपी और डेमोक्रेट्स के पास कुल मिलाकर 56 सांसद हैं। इनमें एमडीपी के 43 और डेमोक्रेट के 13 सांसद हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, संविधान में संसद के स्थायी आदेशों के साथ राष्ट्रपति पर 56 वोटों के साथ महाभियोग चलाया जा सकता है।
भारत का खुला समर्थन
मालदीव के दोनों मुख्य विपक्षी दलों ने मुइज्जू सरकार के भारत विरोधी रुख पर चिंता जताई। इन दलों ने नई दिल्ली को माले का सबसे पुराना सहयोगी बताया। एमडीपी और डेमोक्रेट्स ने भारत का खुला समर्थन तब किया, जब कुछ दिन पहले मालदीव सरकार ने कहा कि चीन का एक पोत अनुसंधान और सर्वेक्षण के लिए मालदीव के बंदरगाह पर खड़ा रह सकेगा।
मालदीव सरकार की ओर से चीनी पोत को अनुमति ऐसे समय में दी गई है, जब नई दिल्ली और माले के संबंध तनावपूर्ण हैं। मालदीव के राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद मोहम्मद मुइज्जू ने इस महीने की शुरुआत में बीजिंग का दौरा किया था। आमतौर पर मालदीव के नए राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद पहले भारत का दौरा किया करते थे। दोनों विपक्षी दलों ने मालदीव की मौजूदा विदेश नीति को लेकर कहा, ऐसा लगता है कि मुइज्जू सरकार भारत विरोधी माहौल बना रही है। उन्होंने कहा कि किसी भी सहयोगी, खासतौर पर सबसे लंबे समय से सहयोगी (भारत) को अलग-थलग करना देश के विकास के लिए बेहद घातक होगा।
मालदीव की सुरक्षा के लिए हिंद महासागर में स्थिरता जरूरी है। एमडीपी के प्रमुख फैयाज इस्माइल, डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष हसन लतीफ और सांसद अली अजीम ने एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान दोनों दलों ने कई मुद्दों पर मिलकर काम करने का एलान किया।