आस्था सक्सेना
नई दिल्ली। जब एक स्त्री अपने पति को खो देती है, तब वह अपनी प्रतिष्ठा, अपनी संपदा तथा विरासत के अधिकार से भी वंचित कर दी जाती है। समाज द्वारा उपेक्षित होने से वह तथा उसकी संतानें घोर निर्धन और अत्यधिक असुरक्षित हो जाती हैं।
भारत में अनुमानतः 4.6 करोड़ विधवाएं हैं । इनमें से 70 प्रतिशत ग्रामीण भारत में निवास करती हैं। दुखद पहलू यह है कि ग्रामीण विधवाएं सर्वाधिक पीड़ित हैं। वे निर्धन तथा अशिक्षित हैं और अधिकतर अपने परिजनों तथा समुदायों पर आश्रित हैं, जो अक्सर उनका शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और यौन शोषण करते हैं।
संपूर्ण भारत की ग्राम पंचायतें प्रत्येक गांव में विधवा सहायता केंद्र की स्थापना करके इन विधवाओं की सहायता में महती भूमिका निभा सकती हैं। उन्हें एक समर्पित संस्था या संगठन को नियुक्त करना चाहिए जो केवल इन विधवाओं की आवश्यकताओं की पूर्ति करे तथा अशक्त विधवाओं की सुरक्षा में सुधार सुनिश्चित करने में भी सक्षम हो।
– लुंबा फाउंडेशन ने विश्व भर में विधवा कल्याण में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
– निर्धन विधवाओं के 10,000 बच्चों को प्रदान करवाई शिक्षा
– 15,000 से अधिक विधवाओं को प्रशिक्षण दे निःशुल्क दीं सिलाई मशीनें
ग्रामीण विधवाओं को शिक्षित बनाना चाहिए। साथ ही उन्हें कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण भी देना चाहिए, जिससे वे अपने समुदायों की सक्रिय और उत्पादक सदस्य बन सकें और अपनी मौलिक स्वतंत्रता तथा मानव अधिकारों पर भी दावेदारी पेश कर सकें। यह स्वयं उस विधवा, उसके परिवार तथा गांव के व्यापक समुदाय के लिए भी लाभदायक होगा। अत्यधिक निर्धनता तथा शोषण का अंत भी तभी संभव है।
संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद (इकोसाॅक) तथा जन सूचना विभाग (डीपीआई) द्वारा मान्यता प्राप्त लुंबा फाउंडेशन ने भारत तथा विश्व भर में विधवाओं की कल्याण के कार्य को आगे बढ़ाने में सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हमने भारत के 30 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में निर्धन विधवाओं के 10,000 से अधिक बच्चों को शिक्षा प्रदान करवाई है। साथ ही हमने 15,000 से अधिक विधवाओं को सिलाई का प्रशिक्षण दिया है और प्रशिक्षण पूरा कर लेने पर पैरों से चलाने वाली सिलाई मशीन निःशुल्क प्रदान की है।
माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में हमारी फाउंडेशन की 5000 विधवाओं को सशक्त बनाने की परियोजना का आरंभ किया है ।
सभी लें संकल्प
आइए, हम इन विधवाओं के जीवन से अभावों के कलंक तथा शोषण का अंत करें ताकि वे निर्धनता की बेड़ियों को तोड़ सकें और अपने बच्चों को शिक्षित बना सकें।
काम की बात
एम्स में साल 2022 में शुरू की गई आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट यानी एबीएचए का फायदा मरीजों को मिलने लगा है। मरीज मोबाइल से क्यूआर कोड स्कैन करके ओपीडी की पर्चा बनवा सकते हैं। एम्स मोबाइल क्यूआर स्कैन वाली सुविधा में नंबर वन बन गया है।
केंद्र सरकार ने अब डाकघर की बचत योजनाओं में 10 लाख रुपये से ज्यादा निवेश करने पर इनकम प्रूफ देना अनिवार्य कर दिया है।
बढ़ाइये अपनी जानकारी
10 लाख साल होती है कांच की लाइफ साइकिल। कांच को बार रिसाइकिल करना और इसे उपयोग में लेना आसान और सुरक्षित है। इसलिए अपने घरों में प्लास्टिक नहीं कांच को अपनाइए।
70 प्रतिशत हिस्सा इस धरती पर पानी है। इसमें 95 प्रतिशत हिस्सा महासागरों में है। 2 प्रतिशत जमी हुई बर्फ के रूप में है। सिर्फ 1 प्रतिशत ही हमारे उपयोग के काबिल है। इसलिए जल की एक-एक बूंद बचाइए।
27 हजार पेड़ रोज काट दिए जाते हैं सिर्फ टिशू पेपर और डिस्पोजेबल बनाने के लिए। हर साल करीब 1 करोड़ पेड़ इसीलिए काटे जाते हैं। दुनिया में 3.4 लाख करोड़ पेड़ हैं। अपने घरों में टिशू पेपर नहीं, कपड़े के नैपकिन यूज कीजिए।