नई दिल्ली। अपनी नैसर्गिक प्रतिभा के दम पर कलाप्रेमियों की चहेती बनीं ज्योत्सना द्विवेदी ने अपनी कला यात्रा में एक और अध्याय जोड़ा है। मंडी हाउस की ललित कला अकादमी में ‘दश्त ए तलब’ शीर्षक से कला प्रदर्शनी में उनकी कलाकृतियों ने हर किसी का ध्यान खींचा है। एक सप्ताह तक चली इस प्रदर्शनी का शुभारंभ दिग्गज आर्टिस्ट व कवि सतीश गुप्ता ने किया। दिल्ली के अलावा दूर-दराज से आए कला प्रेमियों ने आर्ट की एक नई परिभाषा से साक्षात्कार किया और लंबे समय तक स्मृतियों को गुदगुदाने और मन को लुभाने वाले चित्रों के प्रतिबिंब साथ लेकर गए। मानव से प्रकृति व पौधों के संबंधों की गहराई मापने के साथ इन संबंधों की अंतरंगता को कैनवास पर नई डेफिनेशन देकर एक अलग पहचान बनाई है कुदरत की चितेरी ज्योत्सना द्विवेदी ने।
‘वसंत का अहसास कराती हैं ज्योत्सना की रचनाएं’
कला प्रदर्शनी के मुख्य अतिथि और विख्यात आर्टिस्ट सतीश गुप्ता का कहना है कि ज्योत्सना द्विवेदी की रचनाएं वसंत का अहसास करवाती हैं, रेगिस्तान में जैसे फूलों का खिलना, जैसे किसी अदृश्य शक्ति का प्रस्फुटन। एक महिला की अथक यात्रा और पौधे में उसका कायान्तरण वास्तव में प्रेरणादायक है।
ज्योत्सना द्विवेदी का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में मेरी कला तेजी से पौधे केंद्रित हो गई है। मेरी कलाकृतियों में मनुष्यों और पौधों के बीच संबंध अधिक गहन हो गए हैं क्योंकि मैं महत्वपूर्ण पौधों के अध्ययन में गहराई से उतरती हूं। यह पौधों के अध्ययन का एक बहु-विषयक क्षेत्र है जिसमें साहित्य, दर्शन, कला, विज्ञान और संस्कृति मिलकर नए तरीके उत्पन्न करते हैं, पौधों और प्रकृति के बारे में और अधिक तल्लीनता से सोचने के।
मेरा प्रयास पौधों को देखना और उनके बारे में नवीन और काल्पनिक तरीकों से सोचना है ताकि दृश्य कल्पनाएं बनाई जा सकें जो जागरूकता और सोच के तरीकों पर हमारा ध्यान केंद्रित करती हैं, जो कम मानव केंद्रित और अधिक पारस्परिक, सहजीवी और प्रकृति का सम्मान करती हैं।
कला दीर्घा में प्रदर्शित ज्योत्सना द्विवेदी की कलाकृतियां।
आर्टिस्ट ज्योत्सना द्विवेदी कला प्रदर्शनी के दौरान मुख्य अतिथि और विख्यात शिल्पकार सतीश गुप्ता के साथ। चित्र : ब्लिट्ज इंडिया
कला प्रेमियों से मुखातिब ज्योत्सना द्विवेदी।