ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। हर क्षेत्र में घर की चारदीवार से निकलकर जोरदार उपस्थिति दर्ज करा रही महिलाओं को मताधिकार मिलने के बाद पुरुषों को पीछे छोड़ने में 67 साल का वक्त लग गया। 1952 से लेकर 2014 तक के लोकसभा चुनाव में वोट डालने में महिलाएं हमेशा पुरुषों से पीछे रहीं लेकिन 2019 के अहम चुनाव में पुरुषों को पीछे छोड़ दिया। पिछले लोकसभा चुनाव में 67.18 फीसदी महिलाओं ने वोट डाले थे, जो पुरुषों के (67.02 प्रतिशत) मुकाबले 0.16 फीसदी ज्यादा हैं। इसके साथ ही महिलाओं ने सर्वाधिक वोटिंग कर अब तक का रिकॉर्ड भी कायम कर दिया। इससे पूर्व तक हुए सभी आम चुनाव में मताधिकार में महिलाओं को भागीदारी 55 फीसदी के इर्द गिर्द ही रही है। 2014 के बाद 2019 में भी उनकी भागीदारी 65 फीसदी से भी आगे रही। इस बार भी माना जा रहा है कि मताधिकार के इस्तेमाल में महिला मतदाता पुरुषों से आगे रहेंगी। इस बार 47.1 करोड़ महिला मतदाता हैं।
1967 से महिला- पुरुष का अलग- अलग डाटा
चुनाव आयोग के पास शुरू के लोकसभा चुनाव 1951-52, 1957 और 1962 के महिलाओं और पुरुषों के मतदान का अलग डाटा नहीं है। देश के दूसरे मुख्य निर्वाचन आयुक्त कल्याण वैद्यनाथन कुदट्टर सुंदरम ने चौथे चुनाव (1967) से पुरुषों और महिलाओं के मतदान करने के आंकड़ों की अलग से दर्ज करने की व्यवस्था बनाई।
– 28 नवंबर 1893 को न्यूजीलैंड में पहली बार महिलाओं ने वोट डाला
– महिलाओं को वोटिंग अधिकार देने वाला न्यूजीलैंड दुनिया का पहला देश बना
– भारत में आजादी के साथ ही महिलाओं को वोटिंग का अधिकार मिल गया था