ब्लिट्ज ब्यूरो
ढाका। बांग्लादेश में हिंसा, लूटपाट और अराजकता के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद के साथ देश छोड़ना पड़ा है। राजनीतिक दलों की मांग के चलते राष्ट्रपति ने संसद को भी भंग कर दिया। फिलहाल, देश पर शासन करने के लिए आवश्यक संवैधानिक ढांचा मौजूद नहीं है।
शेख हसीना फिलहाल भारत में रुकी हुई हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी शेख हसीना से मिले हैं। वही भारत बांग्लादेश की स्थिति को लेकर हाई अलर्ट पर है। सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
बांग्लादेश सेना प्रमुख ने घोषणा की थी कि अंतरिम सरकार बनाई जाएगी। आंदोलन चलाने वाले छात्र नेताओं की मांग के अनुसार नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस को अस्थायी सरकार की कमान सौंपी गई है। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के शपथ ग्रहण का समय आठ अगस्त को रात का रखा गया। बांग्लादेश सेना के प्रमुख वकर-उज-जमान ने मुहम्मद यूनुस के शपथ ग्रहण की जानकारी दी। यह कोई पूर्णकालिक सरकार नहीं, बल्कि अस्थायी तौर पर काम करेगी।
अंतरिम सरकार की जरूरत क्यों पड़ी
बांग्लादेश के संविधान के अनुच्छेद 57 में कहा गया है कि यदि प्रधानमंत्री ने इस्तीफा दे दिया है तो कैबिनेट के दूसरे मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और उप-मंत्रियों का भी इस्तीफा माना जाता है। इसका मतलब है कि कैबिनेट भंग हो चुकी। राजनीतिक दलों की मांग के चलते राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने मंगलवार को संसद को भंग कर दिया।
अल्पसंख्यकों पर हमले चिंता का विषय: जयशंकर
बांग्लादेश की स्थिति पर राज्यसभा में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, हमारी समझ यह है कि सुरक्षा प्रतिष्ठानों के नेताओं के साथ बैठक के बाद, प्रधानमंत्री शेख हसीना ने स्पष्ट रूप से इस्तीफा देने का फैसला किया। बहुत कम समय में उन्होंने कुछ समय के लिए भारत आने की मंजूरी मांगी। जनवरी से वहां टेंशन है। हम राजनीतिक पार्टियों के संपर्क में थे। कोटा सिस्टम पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी बांग्लादेश में हालात नहीं सुधरे और शेख हसीना को इस्तीफा देना पड़ा। 4 अगस्त को सबसे ज्यादा हालात बिगड़े। सबसे ज्यादा वहां अल्पसंख्यकों पर हमले हुए हैं, जो चिंता का विषय है।
बांग्लादेश के 27 जिलों में हिंदुओं के घरों और मंदिरों को बनाया निशाना
हिंसा और आगजनी के बीच अब उपद्रवियों ने अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। भीड़ चुन-चुनकर हिंदुओं को निशाना बना रही है। घरों में आग लगाई जा रही है। दुकानों को लूटा जा रहा है। 27 जिलों में हिंदुओं के घरों और दुकानों को निशाना बनाया गया है। लोगों का कहना है कि ऐसा कोई इलाका या जिला नहीं बचा है, जहां सांप्रदायिक हमले न हुए हों।
घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर हमलों के बारे में देश के विभिन्न हिस्सों से लगातार खबरें मिल रही हैं। भीषण आगजनी के बीच हालात बेहद खराब हो गए हैं। शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद भी प्रदर्शनकारी सड़कों पर डटे हुए हैं।