ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्यता मिलनी तय है, इसलिए सवाल ‘अगर’ का नहीं बल्कि ‘कब’ का है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र के अध्यक्ष क्साबा कॉरोसी ने पिछले दिनों भारत का दौरा किया। इस दौरे ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर चर्चाओं को जन्म दिया है। अपनी यात्रा के दौरान प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कॉरोसी ने कहा कि “सुरक्षा परिषद की वर्तमान संरचना 1945-46 के आधार पर है। तब से लेकर अब तक दुनिया काफ़ी बदल चुकी है और शक्ति का संतुलन बदल गया है लेकिन ये बदलाव सुरक्षा परिषद में नहीं दिखता।
कॉरोसी ने ज़ोरदार ढंग से सुरक्षा परिषद में भारत को शामिल करने का समर्थन किया। उनके इस बयान से महज कुछ ही दिन पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि एंबेसडर (राजदूत) आर. रविंद्र ने भी इसी बात को दोहराया था। उन्होंने कहा कि “ये स्पष्ट है कि अतीत की चुनौतियों से निपटने के लिए जो पुरानी व्यवस्था बनाई गई थी, उससे “आज की गतिशील और एक दूसरे पर निर्भर विश्व” की चुनौतियों का समाधान करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। एंबेसडर रविंद्र सुरक्षा परिषद में न्यायसंगत प्रतिनिधित्व और सदस्यता में बढ़ोतरी के सवाल पर अंतर-सरकारी बातचीत को लेकर पूर्ण अधिवेशन की पहली बैठक में बोल रहे थे। ये मुद्दा मिस्र के राष्ट्रपति फतह अल सीसी की हाल ही में संपन्न दिल्ली यात्रा के दौरान भी उठा था जो 26 जनवरी 2023 को गणतंत्र दिवस के मौके पर मुख्य अतिथि थे।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अब तक का सफर
संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख अंग संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 77 वर्षों का इतिहास कामयाबी और नाकामी का मिला-जुला रूप रहा है। सुरक्षा परिषद की स्थापना बुनियादी अंग के रूप में की गई थी जिस पर अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने की ज़िम्मेदारी है। सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य देश होते हैं जिनमें से पांच स्थायी होते हैं जिनके पास वीटो पावर है। ये देश हैं अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, रूस, चीन और फ्रांस।