ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। लगातार गंभीर प्रदूषण की वजह से अस्पतालों की ओपीडी में सांस लेने में दिक्कत, खांसी और आंखों में जलन से पीड़ित मरीजों की संख्या एक चौथाई तक बढ़ गई है।
लोकनायक अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर सुरेश कुमार ने बताया कि उनकी ओपीडी में सांस लेने में तकलीफ, खांसी, सांस लेते समय घरघराहट एवं सीटी की आवाज आने और आंखों में जलन की शिकायत वाले मरीजों की संख्या में 25 फीसदी तक का इजाफा हुआ है। वहीं, राम मनोहर लोहिया अस्पताल के सांस रोग विभाग के प्रमुख डॉक्टर पवन ने बताया कि प्रदूषण की वजह से अस्थमा और एक्यूट रेस्पिरेट्री लक्षण वाले मरीजों की संख्या लगभग बढ़ी है।
छोटे कण घटाते हैं प्रतिरोधक क्षमता
एम्स में मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर नवल विक्रम के मुताबिक, सुबह और शाम को ठंड बढ़ जाती है तो पीएम 2.5 और इससे छोटे आकार के प्रदूषण कण जमीन की सतह के आसपास ही रहते हैं। ये कण इतने छोटे होते हैं कि सांस नली के जरिये खून में घुल जाते हैं। इससे प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इससे दमा के मरीजों को सांस लेने में दिक्क त और अन्य लोगों को गले में खराश होती है। प्रतिरोधक क्षमता घटने पर बुखार भी हो सकता है।
गर्भ में पल रहे शिशु पर सबसे ज्यादा असर
सफदरजंग अस्पताल के बाल रोग विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. हरीश चेलानी के मुताबिक प्रदूषण छोटे बच्चों पर गंभीर असर डालता है। बच्चों के फेफड़े पूरी तरह विकसित होने में समय लगता है। ऐसे में जब वे प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं तो फेफड़ों पर इसका गंभीर असर होता है। उन्होंने कहा कि प्रदूषित हवा में मौजूद छोटे बारीक कण और कई खतरनाक रसायन गर्भवती महिलाओं के फेफड़े के जरिए शरीर में पहुंच जाते हैं तथा शिशु एवं गर्भनाल को क्षति पहुंचाते हैं। कुछ अन्य रसायन गर्भ तक ले जाने वाली नलियों को सिकोड़कर छोटा कर देते हैं। ऐसे में शिशु तक कम मात्रा में ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंच पाते हैं। इससे छोटे आकार और कम वजनी बच्चा पैदा होता है या फिर कई बार समय से पहले बच्चे का जन्म हो सकता है। ऐसे बच्चों को जन्म के बाद भी काफी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।
मास्क जरूर लगाएं : लोकनायक अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक के मुताबिक, प्रदूषण से बचने के लिए लोगों को मास्क जरूर लगाना चाहिए। आजकल कई ऐसे मरीज अस्पताल आ रहे हैं, जो मास्क नहीं लगा रहे हैं।
•बेहतर गुणवत्ता के मास्क का इस्तेमाल जरूरी है
•तरल पदार्थ लेते रहें और •डिहाइड्रेट न होने दें
•एक्यूआई इंडेक्स 150 से ज्यादा होने पर क्रिकेट, हॉकी, साइकलिंग, मैराथन से परहेज करें
•प्रदूषण स्तर 200 से ज्यादा होने पर पार्क में दौड़ने से परहेज करें
•प्रदूषण स्तर 300 से ज्यादा हो तो लंबी दूरी की सैर न करें
•प्रदूषण स्तर 400 के पार हो तो घर के अंदर रहें, सामान्य सैर भी न करें।