ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने अति महत्वाकांक्षी भारत-श्रीलंका सेतु निर्माण परियोजना पर मुहर लगा दी है। इसके तहत भारत से श्रीलंका के बीच लगभग 23 किलोमीटर लंबे लैंड कॉरिडोर (सेतु) का निर्माण किया जाएगा। यह लैंड कॉरिडोर वही स्थान है, जिसे हिंदू मान्यताओं के अनुसार रामसेतु कहा जाता है।
इसके लिए तकनीक, आर्थिक और पर्यावरण सहित अन्य पहलुओं संबंधी रिपोर्ट तैयार की जाएगी। यह सेतु भारत के धनुषकोडी को श्रीलंका के तलाईमन्नार से जोड़ेगा।
आदेश जारी कर दिए
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस बाबत 22 मार्च को चीफ इंजीनियर (बीपी एवं एसपी) को आदेश जारी कर दिए हैं। मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि भारत-श्रीलंका के बीच सेतु निर्माण परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए विदेश मंत्रालय ने 19 मार्च को मंत्रालय को पत्र लिखा था।
डीएफआर और डीपीआर तैयार करने का अनुरोध
विदेश मंत्रालय ने परियोजना की डिटेल फिजिबिलिटी रिपोर्ट (डीएफआर) और डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने का अनुरोध किया है। इसके साथ-साथ पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अध्ययन किया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि उक्त रिपोर्ट एवं अध्ययन को श्रीलंका सरकार के साथ साझा करना है। उन्होंने बताया कि डीएफआर, डीपीआर एवं ईआईए अध्ययन में एक से डेढ़ साल का समय लगने की संभावना है। इसके बाद सेतु का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।
नितिन गडकरी ने दिसंबर 2015 में पहली बार बात की थी
मालूम हो कि राष्ट्रीय राजमार्ग परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दिसंबर 2015 में पहली बार श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के साथ रेल और सड़क सेतु बनाने की योजना पर बातचीत की थी। इसके बाद दोनों देशों के बीच सेतु निर्माण पर कई बार चर्चा हो चुकी है।
ये फायदे होंगे
दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्ते और मजबूत होंगे। पर्यटन, अध्यात्म और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।