ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। केंद्र सरकार जल्द ही मौजूदा वक्फ बोर्ड अधिनियम में बड़े संशोधन करने की तैयारी में है। इसे लेकर इसी संसद सत्र में बिल पेश किया जा सकता है। जानकारी के अनुसार, सरकार नए बिल में वक्फ बोर्ड में भारी बदलाव कर सकती है। सरकार नए कानून के जरिए वक्फ बोर्ड में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के साथ ही वक्फ बोर्ड की कुछ शक्तियों को भी छीन सकती है। इस विधेयक में वक्फ अधिनियम 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम 1995 करना भी शामिल है।
संपत्ति पर अधिकार की घटेगी शक्ति
इस बिल में सरकार मौजूदा वक्फ बोर्ड अधिनियम की धारा-40 को भी बदलने की तैयारी में है। यह नियम बोर्ड को किसी संपत्ति को अपनी जमीन घोषित करने की ताकत देता है। इस नए बिल में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों का रोल काफी संशोधित किया जा सकता है, साथ ही इन निकायों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है।
अन्य पिछड़े वर्गों के प्रतिनिधित्व की सिफारिश
विधेयक में बोहरा और आगाखानियों के लिए एक अलग औकाफ बोर्ड की स्थापना का भी प्रस्ताव है। मसौदा कानून मुस्लिम समुदायों के बीच शिया, सुन्नी, बोहरा, आगखानी और अन्य पिछड़े वर्गों के प्रतिनिधित्व की सिफारिश करता है। इसका एक उद्देश्य केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के माध्यम से वक्फ के पंजीकरण के तरीके को सुव्यवस्थित करना है। किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज करने से पहले सभी संबंधितों को उचित नोटिस के साथ राजस्व कानूनों के अनुसार एक विस्तृत प्रक्रिया करनी पड़ेगी।
वक्फ क्या है
‘वक्फ’ अरबी भाषा के ‘वकुफा’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है ठहरना। वक्फ का मतलब, दरअसल उन संपत्तियों से है जो इस्लामी कानून के तहत विशेष रूप से धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए समर्पित हैं। इस्लाम में ये एक तरह का धर्मार्थ बंदोबस्त है। वक्फ उस जायदाद को कहते हैं, जो इस्लाम को मानने वाले दान करते हैं। ये चल-अचल, दोनों तरह की हो सकती हैं। ये दौलत वक्फ बोर्ड के तहत आती है। जैसे ही संबंधित संपत्ति का स्वामित्व बदलता है तो यह माना जाता है कि यह संपत्ति मालिक से अल्लाह को हस्तांतरित हो गई है। इसके साथ ही यह अपरिवर्तनीय हो जाता है।
एक बार वक्फ, हमेशा एक वक्फ
‘एक बार वक्फ, हमेशा एक वक्फ’ का सिद्धांत यहां लागू होता है, यानि- एक बार जब किसी संपत्ति को वक्फ घोषित कर दिया जाता है, तो वह हमेशा वैसी ही रहती है। वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए प्रत्येक राज्य में एक वक्फ बोर्ड का गठन किया गया है।
2013 में क्या बदलाव हुए
2013 में इस अधिनियम में और संशोधन किया गया, ताकि वक्फ बोर्डों को किसी की भी संपत्ति छीनने के असीमित अधिकार दिए जा सकें, जिसे किसी भी अदालत में चुनौती भी नहीं दी जा सकती। सीधे शब्दों में कहें तो वक्फ बोर्ड के पास मुस्लिम दान के नाम पर संपत्ति का दावा करने के असीमित अधिकार हैं। इसका सीधा मतलब यह था कि एक धार्मिक निकाय को असीमित अधिकार दिए गए थे, जिसने वादी को न्यायपालिका से न्याय मांगने से भी रोक दिया।
– मुस्लिम महिला-गैर मुस्लिमों को प्रतिनिधित्व देने की तैयारी
– बोहरा, आगाखानियों के लिए औकाफ बोर्ड का प्रस्ताव
15 साल में हो गई दोगुनी संपत्ति
कहा गया कि यूपीए सरकार में किए गए संसोधनों की वजह से वक्फ बोर्ड हाल के दिनों में भू-माफिया की तरह व्यवहार कर रहा है जिसमें निजी संपत्ति से लेकर सरकारी भूमि तक और मंदिर की भूमि से लेकर गुरुद्वारों तक की संपत्ति पर कब्जा कर रहा है। मूल रूप से वक्फ के पास पूरे भारत में लगभग 52,000 संपत्तियां थीं। 2009 तक, 4 लाख एकड़ में फैली 3,00,000 पंजीकृत वक्फ संपत्तियां थीं। पिछले 15 साल में यह दोगुनी हो गई हैं। वर्तमान में वक्फ बोर्डों के पास करीब 9 लाख 40 हजार एकड़ में फैली करीब 8 लाख 72 हजार 321 अचल संपत्तियां हैं। चल संपत्ति 16,713 हैं जिनकी अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये बताई जा रही है। ये संपत्तियां विभिन्न राज्य वक्फ बोर्डों द्वारा नियंत्रित की जाती हैं। इनका विवरण वक्फ एसेट्स मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया पोर्टल पर दर्ज किया गया है।