ब्लिट्ज ब्यूरो
पटना। बिहार में पहली बार पुलिस सब-इंस्पेक्टर के रूप में ट्रांसजेंडर की नियुक्ति हुई है। हाल ही में हुई पुलिस की भर्तियों में तीन ट्रांसजेंडरों को भी सब-इंस्पेक्टर चुना गया है। इनमें एक ट्रांसवूमेन और दो ट्रांसमेन हैं।
बिहार की मानवी मधु कश्यप पहली ट्रांसजेंडर हैं, जो सब-इंस्पेक्टर यानी दरोगा बनी हैं। उन्होंने कहा, ट्रांसजेंडर भी ईश्वर की ही देन हैं, फिर उन्हें अलग तरह से क्यों देखा जाता है। समाज उन्हें गलत नजरिये से क्यों देखता है। उनके प्रति लोगों को अपना व्यवहार बदलने की जरूरत है। मैं इन्हें इज्जत दिलाना चाहती हूं, समाज का नजरिया बदलना चाहती हूं। ट्रांसजेंडर भी समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर अपना मुकाम बना सकते हैं।
बीते सप्ताह आया रिजल्ट
बीते सप्ताह बिहार पुलिस अधीनस्थ चयन आयोग (बीपीएसएससी) ने दारोगा भर्ती परीक्षा का परिणाम घोषित किया। इसमें 1275 उम्मीदवार सफल हुए, जिनमें 822 पुरुष, 450 महिलाएं और 3 ट्रांसजेंडर हैं। मानवी मधु कश्यप ट्रांसवूमेन हैं, जबकि अन्य दो रोनित झा और बंटी कुमार ट्रांसमैन हैं। भारत में बिहार ऐसा पहला राज्य बन गया है, जहां एक साथ तीन ट्रांसजेंडरों की नियुक्ति सब-इंस्पेक्टर के पद पर हुई।
पॉलिटिकल साइंस में स्नातक हैं मानवी
मधु कश्यप मानवी बांका जिले के एक छोटे से गांव पंजवारा की रहने वाली हैं।
उनके पिता नरेंद्र प्रसाद सिंह की मौत माधवी के बचपन में ही हो गई थी। कश्यप ने 2021 में भागलपुर के तिलकामांझी यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में स्नातक की डिग्री ली। स्कूली पढ़ाई गांव के ही हाईस्कूल से हुई। उन्होंने बताया, मेरा यहां तक का सफर काफी मुश्किलों भरा रहा।
नौवीं में थी, तो पता चला अपने बारे में
जब कक्षा नौ में थी, तो पता चला कि मैं एक सामान्य लड़की नहीं हूं। परिवार में एक भाई और दो बहनें भी हैं। मैं सभी से कट कर, अलग-थलग रहने लगी। आस- पड़ोस क्या, अपने लोग भी ताने मारने लगे। इस बीच पिता गुजर गए। हालात ऐसे हो गए कि घर छोड़ना पड़ गया।
– कहा, जीवन अंधेरे में रहा, अब आएंगे अच्छे दिन
दस साल हो गए, मैं घर नहीं गई हूं
कश्यप का बचपन संघर्षों के बीच बीता। उन्होंने आर्थिक तंगी के उस दौर में गांव में घर-घर अखबार पहुंचाने का काम भी किया। वह कहती हैं, स्त्री या पुरुष कभी खुद के स्त्री या पुरुष होने का रोना नहीं रोते तो ट्रांसजेंडर क्यों अपना रोना रोएं। दस साल से वह घर नहीं गईं ं।
क्या हम इज्जत या सम्मान के योग्य नहीं
पुरुष के लिए फर्स्ट या फिर स्त्री के लिए सेकेंड जेंडर तो कहीं लिखा नहीं है, किंतु ट्रांसजेंडर के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में थर्ड जेंडर लिख कर दिया है तो क्या हम इज्जत या सम्मान के योग्य नहीं है?
कश्यप का यह भी कहना है कि पुलिस की सेवा में आने पर अपने सहकर्मियों से उनकी यही अपेक्षा रहेगी कि उन्हें बराबरी मिले, वे मेरा सम्मान करें और मैं उनका सम्मान करूं। सारी लड़ाई तो इज्जत-प्रतिष्ठा की है।
कोचिंग वालों ने एडमिशन देने से मना कर दिया था
पटना में कोचिंग वालों ने उन्हें एडमिशन देने से मना कर दिया था। माहौल खराब हो जाएगा, कहकर डांट-डपट कर भगा दिया। आखिर में कश्यप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले गुरु रहमान से मिलीं। उन्होंने माधवी का साथ दिया और अंततः वह मंजिल पाने में कामयाब रही। दारोगा परीक्षा में सफल हुए तीनों ट्रांसजेंडर गुरु रहमान के ही स्टूडेंट हैं। उन्होंने तीनों छात्रों से कोई शुल्क नहीं लिया।
उसी दुपट्टे को लहराऊंगी
माधवी ने कहा, ट्रेनिंग पूरी करने के बाद वर्दी में घर जाकर मां को सैल्यूट करूंगी और उसी दुपट्टे को लहराऊंगी, जिससे चेहरा ढक कर मां को मुझसे मिलने आना पड़ता था।


















