ब्लिट्ज ब्यूरो
गोरखपुर। संगीता पांडे को विपरीत लहरों की तैराक कहा जाए तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी। वह आज एक महिला उद्यमी के रूप में बड़े-बड़े पुरुष व्यापारियों को चुनौती दे रही हैं। उन्होंने 1,500 रुपये के निवेश के साथ फैंसी डिब्बे बनाने से अपने कारोबार की शुरुआत की। अपने पहले ऑर्डर से 650 रुपये कमाए और आज उनकी कंपनी का टर्नओवर तीन करोड़ रुपये है। संगीता पांडे महिलाओं को कुटीर उद्योग स्थापित करने के लिए भी प्रेरित करती हैं।
संगीता के पिता सेना में सूबेदार थे और उनकी मां गृहिणी हैं। उनकी शादी 19 साल की उम्र में बिहार के जगदीशपुर के संजय पांडे से हुई थी। ससुराल आई, तो वहां न बिजली थी, न पक्की सड़क। शादी के बाद उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। वह आगे और पढ़ना चाहती थीं, लेकिन मां बनने के बाद परिवार की जिम्मेदारियों ने कदम रोक दिए। उनके पति पुलिस कॉन्स्टेबल हैं और तब उनकी पोस्टिंग गोरखपुर में थी। शादी के पांच साल बाद संगीता भी गोरखपुर चली आईं। एक बेटे और दो बेटियों के जन्म के बाद जिम्मेदारियां बढ़ीं और खर्च भी। तब संगीता ने नौकरी करने का फैसला किया।
जब छोड़नी पड़ी नौकरी
संगीता की बेटी नौ महीने की थी, जब उन्होंने चाइल्ड सर्विसेज में 4,000 रुपये की नौकरी ज्वाइन की। अपने काम के दौरान वे अपनी बेटी को भी साथ लेकर जाती थीं। उनके कुछ सहकर्मियों ने इस पर आपत्ति जताई। अगले दिन संगीता अपनी बेटी को घर छोड़कर नौकरी चली तो गईं, लेकिन उन्हें महसूस हुआ कि वह दूसरों के बच्चों का ख्याल कैसे रखेंगी, जब अपनी बच्ची का ही खयाल नहीं रख पा रहीं। इस घटना ने उन्हें अपनी नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
– नेपाल, चीन जैसे देशों से भी आ रहे नियमित आर्डर
पति से मिला सहयोग
एक दिन संगीता ने एक दुकान पर मिठाई के खूबसूरत डिब्बे एक के ऊपर एक रखे देखे। उनके मन में विचार आया। घर वापस आईं और अपने पति को इस बारे में बताया और अतिरिक्त कमाई के लिए अपना व्यवसाय खोलने की इच्छा व्यक्त की। पति ने उनका साथ दिया।
व्यवसाय की नींव
पति से सहयोग मिलने के बाद संगीता ने साइकिल से गोरखपुर के स्थानीय बाजार का रुख किया। उन्होंने बिजनेस शुरू करने के लिए 1,500 रुपये खर्च कर 100 सुंदर डिब्बे बनाए। इसके बाद उन्होंने डिब्बों की दुकानों पर बेचने का निश्चय किया। दुकानदारों ने महंगे होने के कारण नहीं खरीदे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और रोजाना जाकर दुकान मालिकों को अपने डिब्बों की खासियतों के बारे में बताया।
सम्मानित भी की गईं
वह उन महिलाओं के लिए मिसाल हैं जीवन में कुछ हासिल करना चाहती हैं। महिलाओं को घर पर ही रोजगार उपलब्ध करवाकर वह सरकार की नजर में भी आईं और उन्हें गोरखपुर महोत्सव 2023 में सम्मानित किया गया।
गहने गिरवी रखे, लिया लोन
शुरुआत में उन्हें पैसे की कमी का सामना करना पड़ा। इसलिए उन्होंने अपने आभूषण गिरवी रख दिए और तीन लाख रुपये का लोन लिया। इससे उन्हें कच्चे माल की आपूर्ति बढ़ाने में मदद मिली। इसके अलावा 35 लाख रुपये और 50 लाख रुपये के दो लोन की मदद से, उन्होंने जल्दी ही एक फैक्टरी स्थापित की। उन्होंने अपनी कंपनी का नाम ‘सिद्धिविनायक पैकेजर्स’ रखा। संगीता की कंपनी का सालाना टर्न-ओवर तीन करोड़ रुपये है। वह व्यक्तिगत रूप से महिलाओं को बढ़ावा देती हैं और अपने साथ जुड़ी महिलाओं के घरों तक कच्चा माल पहुंचाकर और उनसे तैयार डिब्बों को इकट्ठा करके समय पर डिलीवरी करती हैं। वर्तमान में वह उत्तर प्रदेश के 16 जिलों में अपना कारोबार संचालित कर रही हैं। संगीता को नियमित रूप से नेपाल, चीन जैसे देशों से अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर भी मिलते हैं।