ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। दिल्ली एयरपोर्ट पर जीएमआर ने देश का पहला एलिवेटेड क्रॉस टैक्सी-वे बनाया है जो एयरपोर्ट के टर्मिनल 1 और 3 के बीच की दूरी को 7 किलोमीटर कम कर देगा। इससे न सिर्फ यात्रियों का समय बचेगा बल्कि हवाई जहाज कंपनियों का ईंन्धन भी बचेगा। साल भर में प्लेन से निकलने वाला करीब 55 हजार टन कार्बन भी कम होगा। एक बड़ी खासियत यह भी है कि यह क्राॅस टैक्सी-वे आरडीएक्स धमाके से भी बेअसर रहेगा।
दो साल का समय लगा
इस टैक्सी वे को बनाने में करीब 2 साल का समय लगा और ये देश का पहला एलिवेटेड क्रॉस-वे है जिस पर एक साथ दो बड़े हवाई जहाज गुजर सकते हैं। पहले जब प्लेन दिल्ली एयरपोर्ट पर लैंड करता था तो उसे टर्मिनल 3 से दूसरे टर्मिनल 1 तक जाने में करीब 30 से 40 मिनट तक का समय लग जाता था। अगर रनवे पर कोई प्लेन टेक ऑफ या लैंड करने की कतार में है तो समय ज्यादा भी लग जाता था लेकिन इस टैक्सी-वे के बनने के बाद ये समय काफी कम हो जाएगा क्योंकि पहले प्लेन को करीब 9 किलोमीटर का चक्क र लगाना पड़ता था लेकिन अब प्लेन तो सिर्फ 2 किलोमीटर का ही सफर टैक्सी-वे पर करना होगा।
कार्बन रहित एयरपोर्ट का लक्ष्य
यह क्रॉस-वे दिल्ली एयरपोर्ट को 2030 तक पूरी तरह से कार्बन रहित बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। क्रॉस-वे का नाम ईसीटी यानी ईस्टर्न क्राॅस टैक्सी वे रखा गया है।
टैक्सी-वे पर दो लेन हैं जो 44 मीटर चौड़ी हैं जिसके बीच में 47 मीटर का फासला है ताकी दो बड़े प्लेन एक साथ निकल सकें। इस टैक्सी-वे को बनाने में 590 पिलर का इस्तेमाल किया गया है जिसमें एक पिलर का वजन 90 टन है ताकी ये बड़े प्लेन का वजन भी उठा सके और साथ ही अगर आरडीएक्स या टीएनटी जैसा बड़ा धमाका भी होगा, तब भी इसे कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। जीएमआर ने दिल्ली एयरपोर्ट पर चौथे रनवे को भी तैयार कर लिया है।