ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। शिव नाडर, अजीम प्रेमजी और मुकेश अंबानी देश-दुनिया में जाने-माने नाम हैं। उनकी गिनती देश के सबसे बड़े परोपकारियों में भी होती है। इनमें एक कपल है जो लगातार हुरुन इंडिया की परोपकारियों की लिस्ट में जगह बना रहा है। वह जोड़ा है सुष्मिता और सुब्रतो बागची। एडेलगिव हुरुन इंडिया फिलेंथ्रॉपिस्ट लिस्ट 2023 के अनुसार, सुष्मिता और सुब्रतो बागची भारत के सबसे बड़े दानियों में छठे स्थान पर थे। उन्होंने पिछले साल 110 करोड़ रुपये से ज्यादा का दान दिया। हालांकि यह राशि बड़ी है, लेकिन यह सुष्मिता बागची के पिछले साल अकेले किए गए 213 करोड़ रुपये के दान से कम है। अपने कॉन्टि्रब्यूशन के बावजूद सुष्मिता बागची लोगों की नजरों से दूर रहना पसंद करती हैं।
कटक में जन्मीं सुष्मिता बागची प्रसिद्ध उड़िया लेखिका शकुंतला पांडा की बेटी हैं। अपनी मां के नक्शे कदम पर चलते हुए सुष्मिता बागची न केवल एक जानी-मानी उड़िया लेखिका बनीं, बल्कि वह मासिक महिला प्रकाशन सुचरिता की क्रिएटर भी हैं। राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में लेक्चरर के रूप में काम किया। सुष्मिता बागची अपने पति सुब्रतो बागची से तब मिलीं जब वह सिर्फ पंद्रह साल की थीं। इसके चार साल बाद दोनों की शादी हो गई।
माइंडट्री की सह-संस्थापक
सुष्मिता के लेखन कौशल को पहली बार उनकी मां की तरह ही पत्रिका में जगह मिली थी। उन्होंने अपनी मां के पदचिन्हों पर चलते हुए साहित्य जगत में प्रवेश किया। माइंडट्री की सह-संस्थापक और एक समाज सुधारक के रूप में अपनी भूमिका के साथ सुष्मिता बागची ने अपनी पहचान लेखिका के रूप में भी बनाई। उन्होंने एक यात्रा वृत्तांत, लघु कथाओं के अलग-अलग संग्रह और अंग्रेजी और उड़िया में पांच उपन्यास लिखे हैं।
2022 में सुष्मिता और सुब्रतो बागची ने माइंडट्री के अन्य सह-संस्थापकों और राधा और एन एस पार्थसारथी जैसे परोपकारियों के साथ मिलकर स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए कुल 213 करोड़ रुपये का योगदान दिया।
फोर्ब्स की लिस्ट में बनाई थी जगह
बागची को उनके काम के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। उन्हें 2010 में अर्न्स्ट एंड यंग एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर अवार्ड और 2013 में फोर्ब्स एशिया की 50 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में भी शामिल किया गया था।