गुलशन वर्मा
नई दिल्ली। तीरंदाज ज्योति सुरेखा वेन्नम, अदिति स्वामी और परनीत कौर की तिकड़ी ने बर्लिन में तिरंगा फहराकर भारतीय महिला तीरंदाजी में एक सुनहरा अध्याय जोड़ दिया। इस भारतीय तिकड़ी ने विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप के 92 साल के इतिहास में पहली बार देश को स्वर्ण पदक दिलाकर इतिहास रच दिया। इस प्रतिष्ठित चैंपियनशिप की शुरुआत 1931 में हुई थी।
यह भारत का तीरंदाजी की किसी भी स्पर्धा में विश्व चैंपियनशिप में पहला पीला तमगा है। विश्व चैंपियनशिप में यह देश का अब तक का 12वां पदक है। इससे पहले भारतीय तीरंदाजों ने नौ रजत और दो कांस्य सहित 11 पदक जीते थे।
मेक्सिको को हरा बनीं चैंपियन
ज्योति, अदिति और परनीत ने कंपाउंड टीम स्पर्धा के फाइनल में शीर्ष वरीय मेक्सिको की डैफने क्विंटरो, एना सोफिया हर्नांडेज जियोन और एंड्रिया बेसेरा की तिकड़ी को 235-229 से पराजित किया। कोरिया ने कोलंबिया को 230-225 से शिकस्त देकर कांस्य पदक जीता। फाइनल में तीनों भारतीय खिलाड़ियों ने पहले तीन दौर में 60 में 59-59 अंक बनाए। इससे भारत ने 177-172 की बढ़त बना ली। भारत ने चौथे दौर में 58 के स्कोर के साथ मुकाबला जीत लिया।
सेमीफाइनल में गत चैंपियन को चौंकाया
ज्योति, अदिति और परनीत से इससे पहले सेमीफाइनल में गत चैंपियन कोलंबिया को 220-216 से हराकर बड़ा उलटफेर किया। क्वार्टर फाइनल में चीनी ताइपे को 228-226 से मात दी। टीम को पहले राउंड में बाई मिली थी। प्री क्वार्टर फाइनल में तुर्की को पराजित किया।
पुरुष टीम हारी
कंपाउंड पुरुष और मिश्रित टीम क्वार्टर फाइनल में हार के साथ बाहर हो गई। अभिषेक वर्मा, ओजस देवताले और प्रथमेश जावकर की तिकड़ी को नीदरलैंड्स के हाथों 230-235 से शिकस्त का सामना करना पड़ा। वहीं मिश्रित में देवतले और ज्योति सुरेखा को अमेरिका की जोड़ी के हाथों रोमांचक मुकाबले में 153-154 से हार झेलनी पड़ी।
कबाड़ी की बिटिया अदिति की बड़ी उपलब्धि
कबाड़ी की बिटिया अदिति का यह करियर का सबसे बड़ा खिताब है। यह सीनियर स्तर पर उनका दूसरा बड़ा टूर्नामेंट है। 18 साल अदिति ने जून में टीम स्पर्धा में कांसा जीता था। वहीं जुलाई में कंपाउंड के अंडर-18 वर्ग में विश्व चैंपियन बनीं थी। उन्होंने फाइनल में अमेरिका की लीन ड्रेक को 142-136 से हराकर स्वर्ण पदक जीता था। जून में उन्होंने विश्व कप में अंडर-18 कंपाउंड में नया विश्व रिकॉर्ड बनाया था। कबाड़ी का काम करने वाले राजकुमार जायसवाल के परिवार पर कोरोना के दौरान मुसीबतों का पहाड़ टूटा था। खाने के भी लाले पड़ गए थे। उनकी दुकान बंद हो चुकी थी। तूफान से घर पानी में डूब गया। महामारी और तूफान की दोहरी मार के बावजूद राजकुमार की बेटिया अदिति ने अपने हौसलों को कम नहीं होने दिया। उनकी मेहनत रंग लाई और वह भारतीय तीरंदाजी का चमकता सितारा बन गई।
पढ़ने में भी अव्वल : अदिति पढ़ाई में अव्वल हैं। उन्होंने आईएससी परीक्षा में 12वीं की परीक्षा में 97 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। सेंट जेवियर कॉलेज में अर्थशास्त्र ऑनर्स की छात्रा अदिति के पिता राजकुमार और मां उमा चाहते थे कि वह भाई की तरह पढ़ाई पर ध्यान दें लेकिन कोच और पूर्व तीरंदाज राहुल बनर्जी के समझाने पर मान गए कि अदिति इससे भी बड़ी उपलब्धि हासिल करने के लिए पैदा हुई है।