सिंधु झा
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 4-5 सितंबर को लखनऊ में आयोजित होने वाले पहले संयुक्त कमांडरों के सम्मेलन (जेसीसी) के दौरान सभी शीर्ष सैन्य कमांडरों को संबोधित करेंगे। सम्मेलन का विषय ‘सशक्त और सुरक्षित भारत: सशस्त्र बलों में परिवर्तन’ होगा। सम्मेलन के पहले दिन चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ द्वारा संबोधित किया जाएगा। देश के शीर्ष रक्षा अधिकारी सैन्य कमांडरों को संबोधित करेंगे कि भविष्य के युद्ध कैसे लड़े जाएंगे और भारतीय सशस्त्र बल थिएटर कमांड में परिवर्तन के माध्यम से सुरक्षा चुनौतियों से कैसे निपटेंगे।
रक्षा मंत्री के नेतृत्व में हर साल सम्मेलन
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में संयुक्त कमांडरों का सम्मेलन हर साल सेनाओं द्वारा आयोजित किया जाएगा, जबकि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में संयुक्त कमांडरों का सम्मेलन हर दो साल में आयोजित किया जाएगा। पिछली जेसीसी बैठक मार्च 2023 में भोपाल में हुई थी और अगली बैठक मार्च 2025 में होने की उम्मीद है।
जेसीसी के दूसरे दिन रक्षा मंत्री द्वारा संबोधित किया जाना तय है, जिसमें देश के सामने मौजूद सभी सुरक्षा चुनौतियों को सूचीबद्ध किया जाएगा और इस मुद्दे पर बलों को निर्देश दिए जाएंगे। रक्षा मंत्रालय के अधीन सशस्त्र बल रक्षा मंत्री के परिचालन निर्देशों के आधार पर अपनी विशिष्ट भूमिकाएं निभाते हैं।
विभिन्न निदेशालयों द्वारा प्रस्तुतियां भी दी जाएंगी
सम्मेलन के दौरान परिचालन सहित रक्षा बलों के विभिन्न निदेशालयों द्वारा प्रस्तुतियां भी दी जाएंगी। सम्मेलन में सेनाओं में विभिन्न ‘मेक इन इंडिया’ पहलों और सेवाओं द्वारा की गई प्रगति पर भी चर्चा होगी। रक्षा मंत्रालय ने अपने बजट का 70 प्रतिशत से अधिक हिस्सा भारत में निर्मित हथियार प्रणालियों को खरीदने के लिए सेनाओं को आवंटित किया है और कई उत्पादों का सफलतापूर्वक परीक्षण और समावेश किया गया है।
रूस-यूक्रेन संघर्ष से सीखा
भारतीय रक्षा बलों ने मध्य पूर्व और रूस-यूक्रेन में चल रहे संघर्षों से सीखा है कि स्वदेशीकरण ही एकमात्र तरीका है जिससे सेनाएं विदेशी आपूर्ति का इंतजार किए बिना लंबे समय तक चलने वाले युद्ध लड़ सकती हैं। स्वतंत्रता के बाद रक्षा बलों में सबसे बड़ा परिवर्तन थिएटर कमांड के निर्माण की दिशा में भी बैठक के एजेंडे में शामिल होगा।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ द्वारा आगे बढ़ाई जा रही पहल में सैन्य मामलों के विभाग द्वारा एक साझा रक्षा संस्कृति बनाने की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं।