ब्लिट्ज ब्यूरो
अगालेगा (मॉरीशस। अफ्रीका के जिबूती से लेकर मालदीव तक खतरनाक सैन्य मंसूबे पाल रहे चीन की ‘स्टि्रंग ऑफ पर्ल्स’ नीति को मात देने की दिशा में भारत को बड़ी सफलता हाथ लगी है। भारत ने अपनी ‘मोतियों की माला’ नीति के तहत हिंद महासागर में बसे अफ्रीकी देश मॉरीशस के अगालेगा द्वीप पर एक नई एयरस्टि्रप और एक जेटी का निर्माण पूरा कर लिया।
अब मॉरीशस की मुख्यभूमि से अगालेगा द्वीप का संपर्क बढ़ जाएगा और समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा। इससे स्वाभाविक तौर पर चीन की चिंता बढ़ने जा रही है। भारत इस एयरस्टि्रप और जेटी का इस्तेमाल अपने पी 8 आई जैसे सबमरीन हंटर विमानों को उतारने के लिए कर सकेगा। इसके अलावा भारतीय नौसेना के युद्धपोत भी वहां आसानी से जा सकेंगे। इसी वजह से कई रक्षा विश्लेषक इसे भारत का ‘नौसैनिक अड्डा’ भी करार देते हैं। हालांकि भारत सरकार ने इसे कभी भी ‘सैन्य अड्डा’ नहीं करार दिया है।
भारत ने यह निर्माण कार्य ऐसे समय पर किया है जब चीन ने अफ्रीका के जिबूती में विशाल नौसैनिक बेस बना लिया है। आलम यह है कि चीन के एयरक्राफ्ट कैरियर भी जिबूती में रुकने लगे हैं। इसी खतरे को देखते हुए भारत ने अगालेगा में बड़े पैमाने विकास कार्य कराया है। इस प्रोजेक्ट से भारत और मॉरीशस के बीच रिश्ते नई ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। हजारों भारतीय मूल के लोग ब्रिटिश काल से ही वहां रहते हैं। भारत अगालेगा द्वीप का यह प्लान एक महत्वपूर्ण कदम जाना जा रहा है जो हिंद महासागर में भारत के प्रभाव को मजबूत करेगा। भारत ने हिंद महासागर में चीन की मौजूदगी का मुकाबला करने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में अगालेगा द्वीप पर यह सैन्य अड्डा बनाया है।
मॉरीशस में तैनात होगा ‘भारतीय शिकारी’
इस अड्डे का निर्माण पूरा हो गया है और जल्द ही यह हवाई और नौसैनिक विमानों और युद्धपोतों की लंबी अवधि की तैनाती के लिए तैयार हो जाएगा।