ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। कैंसर के महंगे इलाज को सस्ता करने के उद्देश्य से 250 कैंसर अस्पताल वाले नेशनल कैंसर ग्रिड के विशेषज्ञों ने एक नया तोड़ निकाला है, जिसके तहत 23 अस्पतालों ने दवा कंपनियों से मोलभाव कर 1,320 करोड़ रुपये की बचत की है। मुंबई स्थित टाटा अस्पताल की निगरानी में 23 कैंसर अस्पतालों ने फैसला लिया कि जिन दवाओं की कीमत सबसे ज्यादा है, उन्हें सस्ती दरों पर उपलब्ध कराने के लिए एक प्रणाली विकसित करेंगे। इस प्रणाली के तहत सभी अस्पतालों ने अपनी-अपनी सूची तैयार की और फिर एक ही मंच के जरिए दवा कंपनियों से मोलभाव शुरू किया। इसका असर यह रहा कि कुल 1,561 करोड़ रुपये मूल्य की 40 दवाओं की खरीदी 240 करोड़ रुपये में हो गई। आपसी सहमति से अस्पताल 1,320 करोड़ रुपये की बचत करने में सफल हुए। इसी पहल पर एक अध्ययन भी हुआ जिसे इस साल जून में डब्ल्यूएचओ ने अपने एक बुलेटिन में प्रकाशित कर सराहना भी की है।
अस्पतालों को एक सस्ता विकल्प दिया
टाटा अस्पताल के कैंसर विशेषज्ञ डॉ. सीएस प्रमेश ने बताया कि भारत में सरकारी और निजी, दोनों ही तरह के अस्पतालों में कैंसर का इलाज काफी महंगा है। कई बार हम देखते हैं कि कुछ मरीजों के इलाज में ऐसी दवाओं की जरूरत पड़ती है, जिनकी कीमत बाजार में लाखों रुपये में होती है। महंगे उपचार को सस्ता करने के लिए हमने एक पहल की, जिसमें सभी अस्पतालों ने सहयोग दिया और मिलकर सिर्फ सस्ती दवाएं ही नहीं बल्कि उनकी गुणवत्ता की परख करते हुए खरीदा।