ब्लिट्ज ब्यूरो
मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि कुछ अरब देशों ने इस्राइल को ईरानी हमले की पहले ही खुफिया जानकारी दे दी थी, इसलिए वह बचाव और जवाबी हमले के लिए पूरी तरह तैयार था।
इसी पुष्टि करते हुए इस्राइल ने दावा किया है कि उसने ईरान से दागी गई अधिकतर मिसाइलों और ड्रोन को पहले ही नष्ट कर दिया था। इस्राइली डिफेंस फोर्स ने कहा कि उसने 90 प्रतिशत से ज्यादा प्रोजेक्टाइल्स को हवा में ही मार गिराया। ईरान के भारी-भरकम हवाई हमले से इस्राइल को कोई खास नुकसान नहीं पहुंचा।
दूसरी ओर ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इस्राइल पहले से ही ईरान के हमलों को लेकर तैयार था क्योंकि अरब देशों ने ईरान के एकाएक हमले की योजनाओं के बारे में खुफिया जानकारी इस्राइल को चुपचाप दे दी थी।
‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अरब देशों ने अपने हवाई क्षेत्र को लड़ाकू विमानों के लिए खोल दिया था और रडार निगरानी की जानकारी साझा की तथा कुछ मामलों में उनकी सेनाओं ने मदद भी की।
अख़बारों की रिपोर्ट्स में बताया गया है कि ईरान द्वारा इस्राइल पर अटैक करने के सीक्रेट फ़ैसले के बाद अमेरिकी अधिकारियों ने मिडिल ईस्ट के कुछ देशों से तेहरान द्वारा हमले की योजनाओं के बारे में खुफिया जानकारी साझा की और इस्राइल की ओर लॉन्च किए गए ड्रोन और मिसाइलों को रोकने में सहायता करने के लिए अमेरिका ने अपना दबाव डालना शुरू कर दिया था।
भारत द्वारा दोनों देशों को युद्ध रोकने और शांति , सद्भावना और बातचीत के माध्यम से समस्या का हाल निकालने की अपील ने भी अमेरिका और अन्य मिडिल ईस्ट के देशों को ताक़त दी। दोनों देशों के बीच तनाव घटाने में भारत, अमेरिका, सऊदी अरब और यूएई की अहम भूमिका रहेगी। अख़बार की रिपोर्ट्स में कहा गया है कि पहले मिडिल ईस्ट के कुछ देश इस जानकारी के बाद बेहद सतर्क हो गए थे। इन देशों को इस बात का भी डर था कि इस्राइल की मदद करने से वे भी सीधे संघर्ष में आ सकते हैं। उन्हें इस बात का भी खौफ था कि ईरान अगर यह बात जान जाएगा तो उन्हें भी ईरान से संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा।
हालांकि, अमेरिका के साथ बातचीत के बाद, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब निजी तौर पर खुफिया जानकारी साझा करने पर सहमत हुए, जबकि जॉर्डन ने कहा कि वह अमेरिका और अन्य देशों के युद्धक विमानों को अपने हवाई क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति देगा। यहां तक कि ईरानी खतरों को रोकने में मदद करने के लिए अपने स्वयं के विमान का उपयोग भी करेगा।
अखबारी जानकारी के मुताबिक़ अमेरिका की इस डिप्लोमेसी ने ईरान के इस हमले के बाद इस्राइल और मिडिल ईस्ट के कुछ मज़बूत देशों के बीच आपसी समझदारी और रिश्तों को और अधिक मज़बूत बना दिया है। अमेरिका का दशकों से यह प्रयास रहा है कि मिडिल ईस्ट के देशों से इस्राइल के संबंधों को अच्छा बनाया जाये।