ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई । दक्षिण मुंबई के बालकेश्वर इलाके में स्थित ऐतिहासिक बाणगंगा तालाब के चारों ओर वाराणसी की तरह गोलाकार सड़क को ‘भक्ति परिक्रमा मार्ग’ के रूप में विकसित किया जाएगा। मुंबईकरों को बाणगंगा पहुंचने पर वाराणसी की अनुभूति होगी। बाणगंगा तालाब के पुनरुद्धार का काम चल रहा है, जिसका पहला चरण जल्द ही पूरा हो जाएगा। बीएमसी बाणगंगा तालाब क्षेत्र में ऐतिहासिक 16 प्रकाश स्तंभों का पुनरुद्धार करेगी।
डी वॉर्ड के असिस्टेंट कमिश्नर शरद उघडे के अनुसार बाणगंगा तालाब के चारों ओर गोलाकार सड़क को ‘भक्ति परिक्रमा मार्ग’ के रूप में विकसित किया जाएगा। तालाब तक पहुंचने के लिए 18.30 मीटर चौड़े ‘मिसिंग लिंक’ का विकास किया जाएगा। साथ ही, पत्थर की सीढ़ियों को आधुनिक बनाने आदि प्रमुख कार्य शामिल हैं। बाणगंगा तालाब के पुनरुद्धार के लिए स्थानीय विधायक एवं उपनगर के पालक मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा काफी समय से प्रयासरत हैं। बाणगंगा तालाब को महाराष्ट्र सरकार द्वारा हेरिटेज घोषित किया गया है। इस तालाब के चारों ओर मंदिर, मकबरे, धर्मशालाएं और मठ के साथ राष्ट्रीय महत्व का सांस्कृतिक केंद्र है।
तालाब के पास वेंकटेश बालाजी मंदिर, सिद्धेश्वर शंकर मंदिर, राम मंदिर, बजरंग अखाड़ा, बालूकेश्वर मंदिर आदि प्रसिद्ध मंदिर हैं। बाणगंगा तालाब का प्राचीन काल से ही धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व होने के कारण इस स्थान पर धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस झील के प्राचीन महत्व को देखते हुए हजारों विदेशी पर्यटक यहां आते हैं।
तीन फेज में होगा काम
बाणगंगा झील के ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राचीन महत्व को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने बाणगंगा तालाब (बालकेश्वर, मालाबार हिल) क्षेत्र को ‘बी’ श्रेणी पर्यटन स्थल घोषित किया है। बाणगंगा तालाब के पुनरुद्धार और पर्यटन की दृष्टि से सर्वांगीण सुविधाओं के विकास के लिए तीन चरणों में कार्य प्रगति पर है। उघडे ने बताया कि बाणगंगा तालाब का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। इस तालाब के निशान 11वीं शताब्दी के पौराणिक संदर्भों में पाए जाते हैं। इस क्षेत्र में विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिर, रामकुंड आदि धार्मिक स्थल भी हैं। यहां के लैंप पोस्टों को पुनर्जीवित करते समय प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग किया गया है। सफाई अभियान में बाणगंगा तालाब क्षेत्र, रामकुंड क्षेत्र, बाणगंगा तालाब की सफाई, तालाब की सीढ़ियों, सुरक्षात्मक दीवारों, लैंप पोस्ट की मरम्मत और जीर्णोद्धार के साथ तालाब के अंदर की संरचना को हटाना, तितली वॉल्व की मरम्मत आदि शामिल हैं।
हटेगा अतिक्रमण
शरद उघडे ने बताया कि यहां से अतिक्रमण हटाकर इसकी विरासत को बहाल करने की योजना बनाई गई है, साथ ही ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण राम कुंड का स्वरूप भी बदल जाएगा। बाणगंगा के विकास के लिए बीएमसी 4.50 करोड़ रुपये खर्च करेगी। तालाब के अगल-बगल साफ-सफाई, पानी की डिसिल्टिंग, स्टेप्स का रिपेयर, तालाब की सुरक्षा दीवार का रिपेयर आउटलेट पर दीवार का निर्माण और पानी का लेवल बढ़ाने की व्यवस्था की जाएगी। बाणगंगा हेरिटेज में आता है, इसलिए इसके कार्य के लिए हमें स्टेट आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट से एनओसी लेनी पड़ेगी। आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट हमें जो सामान इस्तेमाल की अनुमति देगा, हम उसी का इस्तेमाल करेंगे।
क्यों आई बाणगंगा के काम में तेजी?
बाणगंगा तालाब वर्षों से उपेक्षित था। वहां सीढ़ियां जर्जर अवस्था में थीं, प्रदूषण की वजह से तालाब की मछलियां मर जाती थीं। स्थानीय विधायक मंगल प्रभात लोढ़ा कई साल से तालाब के पुनरुद्धार के लिए प्रयासरत थे। लेकिन, शिवसेना (उद्धव ठाकरे) की बीएमसी में सत्ता होने के कारण कभी लोढ़ा को सफलता नहीं मिली। राज्य में शिंदे सरकार आने के बाद तालाब के पुनरुद्धार के लिए बीएमसी आगे आई। अब इस पर करोड़ों रुपये ख़र्च कर वाराणसी का लुक दिया जा रहा है। बीएमसी इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रही है। गिरगांव चौपाटी और बाबुलनाथ मंदिर के नज़दीक होने के कारण यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के पर्याप्त मौका है।