ब्लिट्ज ब्यूरो
दोहा। कतर की एक अदालत ने मौत की सजा का सामना कर रहे आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों की सजा के खिलाफ अपील को स्वीकार कर लिया है। भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा मामले पर कतर सरकार का ध्यान आकर्षित करने और सावधानी बरतने के साथ ही कांसुलर पहुंच प्रदान की गई है।
विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि फैसला गोपनीय बना हुआ है और मामले में अपील दायर की गई थी। विदेश मंत्रालय ने सभी से मामले की संवेदनशील प्रकृति के कारण “अटकलों में शामिल होने” से परहेज करने का भी आग्रह किया है। भारतीय दूतावास को 7 नवंबर को एक और कांसुलर पहुंच प्राप्त हुई। विदेश मंत्रालय के मुख्य प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कुछ अरसा पूर्व कहा था कि कतर की अदालत ने अल दारा कंपनी के 8 कर्मचारियों से जुड़े मामले में मौत की सजा सुनाई थी लेकिन किन आरोपों में, यह अभी तक आधिकारिक तौर पर सार्वजनिक नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, वे (कानूनी टीम) अब आगे कानूनी कदम उठा रहे हैं और एक अपील पहले ही दायर की जा चुकी है। हम इस मामले में कतर के अधिकारियों के साथ भी जुड़े रहेंगे।
विदेश मंत्रालय कतर के अधिकारियों के साथ सक्रिय रूप से समन्वय कर रहा है और 7 नवंबर को कांसुलर पहुंच हासिल की है। इसके अलावा, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पूर्व नौसेना कर्मियों के परिवार के सदस्यों से मुलाकात की है। आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मी दोहा स्थित निजी रक्षा सेवा प्रदाता, दहरा ग्लोबल के कर्मचारी थे। उन्हें कथित जासूसी के आरोप में अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था। भारत ने फैसले को ‘बेहद चौंकाने वाला’ बताया और इस मामले पर कतर के साथ जुड़ने के लिए सभी राजनयिक चैनलों को तैनात किया।
– कतर के अधिकारियों के साथ भारत के संपर्क लगातार जारी
इस बीच, आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों के परिवार और दोस्त जल्द राहत की उम्मीद कर रहे हैं। कतर में मुकदमे पर किसी ठोस जानकारी के अभाव में, परिवारों को लगता है कि पश्चिम एशियाई मीडिया में बहुत सारी गलतफहमियां पैदा हो रही हैं।
कतर में हिरासत में लिए गए लोगों में से एक के करीबी रिश्तेदार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि पश्चिम एशिया में कई स्थानीय मीडिया आउटलेट्स द्वारा गलत जानकारी दी गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पूर्व नौसैनिकों पर कतर द्वारा संचालित पनडुब्बी परियोजना पर जासूसी करने का आरोप लगाया गया था। रिश्तेदार के मुताबिक, भारतीय नौसेना के पूर्व जवान जासूसी में नहीं लगे थे बल्कि देश के नौसैनिक कार्यक्रम में मदद के लिए कतर गए थे। कतर ने जासूसी के इन आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत भी सार्वजनिक नहीं किया है।


















