नई दिल्ली। कोविड के तीन साल बाद लगे विश्व पुस्तक मेले में इस बार भारी संख्या में दर्शक पहुंचे । न सिर्फ किताब खरीदने वालों की भीड़ स्टॉलों पर रही बल्कि लोगों ने नई किताबों में भी खासी रुचि दिखाई । रीडर्स के रेस्पॉन्स से पब्लिशर्स बेहद खुश रहे। प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेले में रोज हजारों की संख्या में लोग पहुंचे। पेंगुइन बुक्स इंडिया की मानें तो शुरुआती 2 दिन तो उम्मीद से भी ज्यादा भीड़ देखने को मिली थी। आलम यह हो गया था कि लोगों को ऑनलाइन पेमेंट करने में दिक्क त हो रही थी। पाठक के रेस्पॉन्स को देखने के बाद यह लगता है कि लोगों में क़िताबें पढ़ने का रुझान बढ़ा है। उन्होंने बताया कि युवा और नए लेखकों की किताबें बहुत पसंद की गईं।
यश पब्लिशर्स के राहुल भारद्वाज ने बताया कि उम्मीद से ज्यादा कमाई हुई है। पाठकों का रुझान कोविड से संबंधित किताबों की तरफ़ ज्यादा दिखा। इसके अलावा लोगों ने मोटिवेशनल किताबें भी खूब खरीदीं। गीता प्रेस के विजय प्रताप ने बताया कि रीडर्स की इतनी भीड़ उमड़ी कि हमारे पास सांस लेने तक का समय नहीं था। आलम यह रहा कि हमें पेमेंट के लिए 2 स्टॉल बनाने पड़े।
सबसे ज्यादा रामचरितमानस और गीता की किताबें बिकीं। 7 लाख से ज्यादा की कमाई तो शुरुआती दिनों में ही हो गई थी । उन्होंने बताया कि हमारे पास पॉकेट साइज से लेकर बड़े साइज तक धार्मिक किताबें उपलब्ध रहीं। प्रभात प्रकाशन के पीयूष कुमार ने बताया कि हमारे यहां हर रोज डेढ़ हजार तक कैश मेमो बने। कह सकते हैं कि एक दिन में लगभग एक लाख की किताबें बिकीं।
उन्होंने बताया कि युवाओं ने बायोग्राफी पढ़ने में ज्यादा रुचि दिखाई जबकि, राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक माहेश्वरी की मानें, तो कैलाश सत्यार्थी की ‘तुम पहले क्यों नहीं आए’, श्रीलाल शुक्ल की ‘राग दरबारी’, पीयूष मिश्रा की ‘तुम्हारी औकात क्या है’, गीतांजलि श्री की ‘रेत समाधि’, रवीश कुमार की ‘बोलना ही है’ जैसी किताबों की तरफ पाठकों का झुकाव ज्यादा देखने को मिला । तीन साल बाद लगे पुस्तक मेले में लोगों का भरपूर प्यार मिला।