लंदन। पिछले साल ईरान में पुलिस हिरासत में दम तोड़ने वाली 22 वर्षीय कुर्द-ईरानी महिला महसा अमीनी को मरणोपरांत बड़ा सम्मान मिला है। उन्होंने हिजाब का विरोध किया था।
यूरोपीय संघ (ईयू) ने महसा अमीनी को शीर्ष मानवाधिकार पुरस्कार दिया है। बता दें कि पिछले साल महसा अमीनी की मौत पुलिस कस्टडी में हुई थी। उन पर हिजाब न पहनने का आरोप था। महसा की मौत के बाद महीनों तक देश में जबर्दस्त हिंसा और सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए। महसा की मौत पर बढ़ते बवाल को देख अधिकारियों ने सफाई दी थी कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिससे उनकी मौत हो गई। हालांकि अमीनी के समर्थकों ने कहा कि उन्हें पुलिस ने पीटा था और चोटों के कारण उनकी मौत हो गई थी।
विरोध प्रदर्शनों में हुई थी 500 से ज्यादा लोगों की मौत
रिपोर्ट के मुताबिक विरोध प्रदर्शनों में 71 नाबालिगों सहित 500 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए। इतना ही नहीं, हिंसक प्रदर्शन के दौरान हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से बहुत लोग आज भी जेल में हैं। इसके साथ ही 22,000 से अधिक लोगों को हिरासत में भी लिया गया।
मानवाधिकार संगठनों ने ईरानी सुरक्षाबलों पर उठाए थे सवाल
पुलिस हिरासत में अमीनी की मौत के कारण ईरान के सुरक्षाबलों को दुनियाभर के मानवाधिकार संगठनों ने कठघरे में खड़ा किया था। मालूम हो कि ईरान में इस्लामिक क्रांति के बाद से महिलाओं को हिजाब पहनना जरूरी है।
तेहरान से बाहर रहती थीं महसा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जब पुलिस ने महसा को हिरासत में लिया था, तब वह तेहरान में मेट्रो से सवारी करने वाली थीं। दरअसल, वो अपने परिवार के साथ तेहरान गई थी,जबकि वह तेहरान से बाहर रहती थी। 16 सितंबर को महसा अमीनी की मृत्यु की पहली वर्षगांठ मनाई गई थी। इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजामात किए गए थे।