ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। यूक्रेन संघर्ष से पैदा हुई वैश्विक चुनौतियों और भारत की अध्यक्षता में हो रहे जी20 के लिहाज से जापान के प्रधानमंत्री का भारत दौरा बेहद अहम माना जा रहा है। इसे भारत-जापान के रिश्तों का नया अध्याय भी बताया जा रहा है। इसी क्रम में पीएम मोदी और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने दिल्ली में भारत-जापान वैश्विक रणनीतिक साझेदारी का विस्तार करने का संकल्प लिया और कहा कि यह शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध हिंद-प्रशांत के लिए महत्वपूर्ण है। दोनों देशों के बीच दो अहम दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी20 की अध्यक्षता को ग्लोबल साउथ की आवाज को बुलंद करने का मंच बताया। पीएम मोदी ने कहा कि जापान के प्रधानमंत्री किशिदा की यात्रा भारत और जापान के बीच आपसी सहयोग की गति को बनाए रखने में मददगार होगी। उन्होंने कहा कि इस साल भारत जी20 और जापान जी7 की अध्यक्षता कर रहा है। इस दौरान प्राथमिकताओं पर मिलकर काम करने का सबसे अच्छा अवसर है। पीएम मोदी ने कहा, “जापानी प्रधानमंत्री ने मुझे जी7 नेताओं के शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया जो मई में हिरोशिमा में आयोजित किया जाएगा। मैं इसके लिए उन्हें धन्यवाद देता हूं। मुझे उम्मीद है कि हमारा जुड़ाव और गहरा होगा तथा आपसी सहयोग को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाएगा।” विदेश मंत्रालय में भारत-जापान के बीच दो दस्तावेजों पर हस्ताक्षर भी हुए। पीएम मोदी और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा द्वारा भारत-जापान वैश्विक रणनीतिक साझेदारी का विस्तार करने का संकल्प लेने के साथ ही इन दोनों दस्तावेजों पर हस्ताक्षर हुए। इसमें मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एमएएचएसआर) के लिए 300 बिलियन जापानी येन के जापानी अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी की ओर से आधिकारिक विकास सहायता ऋण की चौथी किश्त से जुड़े दस्तावेजों का आदान-प्रदान किया गया। साथ ही दोनों देशों के विदेश मंत्रालय के बीच भारत में जापानी भाषा की शिक्षा के लिए सहयोग से जुड़े ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए।
दोनों देशों की रक्षा साझेदारी
जापान और भारत रक्षा साझेदारी में बढ़ोतरी के साथ संयुक्त अभ्यास पर भी विशेष ध्यान दे रहे हैं। इसी क्रम में जापान के पीएम ने जानकारी दी कि जून में जापान 800 समुद्री सुरक्षा कर्मियों को प्रशिक्षित करने में मदद करेगा और मुक्त हिंद-प्रशांत (एफओआईपी) रणनीति के हिस्से के रूप में गश्ती नौकाएं खरीदने और बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए कम से कम 2 बिलियन डॉलर प्रदान करेगा।