रात के समय कभी-कभी लोगों को ऐसे सपने आते हैं कि उनके पीछे कोई खूंखार जानवर पड़ा है। वे दौड़ रहे हैं लेकिन पैर नहीं चल रहे हैं। किसी भूल भुलैया में खो गए हैं, जहां से निकलने का कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है। इस तरह के बुरे सपने आना आम बात है लेकिन कुछ लोग इससे इतने परेशान हो जाते हैं कि उन्हें अनिद्रा, चिंता और तनाव होने लगता है।
लगातार एक हफ्ते तक यह स्थिति हो तो मन में वहम हो जाता है कि कुछ गलत हो रहा है। मगर स्विट्जरलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ जेनेवा में हाल ही में एक स्टडी के दौरान एक ऐसी म्यूजिक थेरेपी खोजी गई है जिससे बुरे सपने आना कम हो जाएंगे। साथ ही ऐसे सपने बंद होने की संभावना भी 4 गुना तक बढ़ सकती है।
संगीत से बुरे सपने भी अच्छे होंगे
रात में सोते समय संगीत सुनने से नींद की क्वालिटी भी बेहतर होती है। रिसर्च के अनुसार रात में सोते समय संगीत सुनने से ये बुरे सपने अच्छे सपनों में बदल सकते हैं। इसके अलावा अच्छी नींद भी आ सकती है। म्यूजिक नींद में लोगों के इमोशंस को कंट्रोल करने का काम करता है। स्टडी के दौरान यह थेरेपी उन लोगों पर ज्यादा असरदार सिद्ध हुई जिन्हें हफ्ते में कम से कम एक बार बुरे सपने आते हैं। इनसे निजात पाने के लिए लोग म्यूजिक थेरेपी के जरिए भावनात्मक रूप से मजबूत भी हुए हैं। शोधकर्ताओं ने इसे इमेजरी रिहर्सल थेरेपी (आईआरटी) भी कहा है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन के मुताबिक अमेरिका के 4 प्रतिशत से ज्यादा लोग इन दिनों बुरे सपनों से परेशान हैं। प्रमुख शोधकर्ता डॉ लैम्प्रोस पेरोगाम्रोस के अनुसार यह बगैर किसी दवा के सबसे प्रभावी इलाज है। इससे चार गुना तक बुरे सपने आना कम हो जाते हैं।
– 4 गुना तक कम होंगे बुरे सपने
– आएगी अच्छी नींद
एक दिन के अभ्यास से ही असर
बुरे सपनों को पॉजिटिव तरीके से रिहर्स करने पर अच्छे सपने आ सकते हैं। इमेजरी रिहर्सल थेरेपी में चार चरण होते हैं, जिन्हें एक दिन में पूरा किया जा सकता है। लोगों को अपने बुरे सपनों के हर विवरण को लिखने के लिए कहा जाता है। उन्हें बुरे सपनों को सकारात्मक तरीके से लिखने के लिए कहा जाता है ताकि सुखद और सशक्त हल निकले।
इसके बाद प्रैक्टिस शुरू होती है। सपने को पॉजिटिव तरीके से रोजाना 5 से 20 मिनट तक रिहर्स करने के लिए कहा जाता है जब तक कि वह याददाश्त में बैठ नहीं जाता। रिसर्च में नाइटमेयर डिसऑर्डर से जूझ रहे 18 लोगों को सपना प्रैक्टिस करते वक्त पियानो सुनाया गया। इस दौरान उन्हें कोई दूसरी आवाजें सुनाए नहीं दीं।
(लेखिका एसोसिएट प्रोफेसर हैं)