संदीप सक्सेना
प्रयागराज। तकनीक के बदलते मौजूदा दौर में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) का दखल तेजी से बढ़ रहा है। एआई ने विज्ञान को नया आयाम दिया है। इसी कड़ी में एक ऐसी तकनीक सामने आई है जो पुलिस और खास तौर पर खुफिया एजेंसियों की राह आसान करेगी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय और मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआईटी) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा सर्विलांस सिस्टम विकसित किया है जिससे सड़क, गली, चौराहा और सार्वजनिक स्थलों पर संदिग्ध हरकत करने वालों की शिनाख्त अब न सिर्फ आसानी से बल्कि तत्काल हो जाएगी। इतना ही नहीं संदिग्धों की जानकारी भी सीधे पुलिस या खुफिया एजेंसियों के कंट्रोल रूम तक पहुंच जाएगी।
इस प्रोजेक्ट के मुख्य अनुसंधानकर्ता इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. आशीष खरे ने बताया कि आजकल अमूमन शहरों के हर चौराहों पर सर्विलांस के लिए 360 डिग्री वाले कैमरे लगाए जाते हैं लेकिन इनकी निगरानी के लिए मैन पावर की जरूरत पड़ती है। जो नया सर्विलांस सिस्टम तैयार किया जा रहा है वह आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के आधार पर काम करेगा और कैमरे में संदिग्ध दिखने या प्रतीत होने वाले व्यक्ति के व्यवहार का विश्लेषण कर सीधे कंट्रोल रूम को जानकारी भेजेगा। इस सिस्टम पर आधारित डिवाइस तैयार की जा रही है, जिसे कैमरे के साथ लगाया जाएगा। इसमें अलार्म की व्यवस्था भी होगी ताकि मौके पर मौजूद सुरक्षा तंत्र को सक्रिय किया जा सके। यह डिवाइस लगने के बाद कंट्रोल रूम में या फिर चौक-चौराहे पर लगे सीसीटीवी कैमरों की चौबीस घंटे माॅनीटरिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी। बकौल प्रो. खरे यह सिस्टम संदिग्ध व्यवहार का विश्लेषण करने में सक्षम है।
इन तकनीकों से संबंधित पांच महत्वपूर्ण रिसर्च पेपर अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित भी हो चुके हैं। प्रो. खरे ने बताया कि उनकी लैब में विकसित की गई तकनीक का विभिन्न मानकीकृत अंतराष्ट्रीय वीडियो डाटा और वास्तविक डाटा पर परीक्षण किया तो पहले से विकसित कई अंतरराष्ट्रीय तकनीकों से बेहतर परिणाम सामने आए। अब इस तकनीक का भारतीय विशेषकर प्रयागराज के परिप्रेक्ष्य में परीक्षण किया जाएगा।
इविवि के प्रो. खरे के साथ ही एमएनएनआईटी के डॉ. दुष्यंत कुमार सिंह एवं गुजरात के वैज्ञानिकों की एक टीम संयुक्त रूप से मिलकर डिवाइस तैयार कर रही है। डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, न्यू दिल्ली के साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड ने विशेष प्रकार का सिस्टम / डिवाइस तैयार करने के लिए 58 लाख की ग्रांट मंजूर की थी।