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वाशिंगटन। जलवायु परिवर्तन और इंसानी लापरवाही के चलते दुनियाभर की आधी से ज्यादा बड़ी झीलें तेजी से सूख रही हैं। अमेरिका के वर्जीनिया विश्वविद्यालय के फांगफैंग याओ ने शोध के आधार पर दावा किया है कि 1990 के बाद से इन झीलों का अरबों लीटर पानी भाप बनकर उड़ चुका है और फिर से इनके पूरी तरह भरने की संभावनाएं कम हैं। इस शोध को हाल ही में साइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
याओ के नेतृत्व में विज्ञानियों ने दुनिया के 95 फीसदी झील जल का प्रतिनिधित्व करने वाली 2,000 सबसे बड़ी झीलों का अध्ययन किया। इस अध्ययन में पता चला कि हर साल झीलों से 215 खरब लीटर पानी कम हो रहा है।
अध्ययन के मुताबिक इलाकों में पहले से ज्यादा बारिश के बाद भी झीलें लगातार सूखती जा रही हैं, क्योंकि तापमान बढ़ने से ज्यादा पानी भाप बन कर उड़ रहा है। कृषि, बिजली उत्पादन और पीने के लिए भी झीलों के पानी का इस्तेमाल बढ़ा है। झीलों के सूखने के कारणों में बारिश की अनियमितता व नदियों का रास्ता भी शामिल है।
तीन दशक के आंकड़ों से निकाले नतीजे
याओ ने अपने अध्ययन के लिए बीते 30 साल के उपग्रह आंकड़ों का विश्लेषण किया है। इनके आधार पर एक कंप्यूटर मॉडल बनाया गया, जिससे झीलों से पानी के सूखने की मात्रा का अनुमान लगाया गया। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन के आंकड़ों को विश्लेषण का आधार बनाया गया है। शोधकर्ताओं ने बताया कि अमेरिका की सबसे बड़ी मीड झील ने 1992 से 2020 के बीच दो-तिहाई पानी खो दिया।